इंदौर की डाइवर (गोताखोर) पलक शर्मा ने सिंगापुर नेशनल चैम्पियनशिप में 5 मेडल जीतकर इतिहास रच दिया। 15 साल की पलक ने चैम्पियनशिप में 6 कॉम्पिटिशन में हिस्सा लिया। अंडर-19 जूनियर कैटेगरी में 3 गोल्ड और सीनियर कैटेगरी में एक सिल्वर और 1 ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया है। सिंगापुर इंटरनेशनल एक्वेटिक चैम्पियनशिप 30 अगस्त से 1 सितंबर तक आयोजित की गई थी। ये पहली बार है जब इस चैम्पियनशिप में किसी भारतीय लड़की ने पांच पदक एक साथ जीते हैं। पूर्व में वर्ल्ड एक्वेटिक चैम्पियनशिप के लिए भी पलक चुनी गई थीं। वे भारत की पहली महिला गोताखोर बनी थीं। पलक एशियन गेम्स के साथ ही अन्य इंटरनेशल चैम्पियनशिप में भी भारत को गोल्ड मेडल दिला चुकी हैं। दैनिक भास्कर ने सिंगापुर से लौटीं डाइवर पलक शर्मा से बात की और उनसे डाइविंग के अब तक के सफर के बारे में जाना। पढ़िए… मैं गेम को लेकर फोकस रहती हूं। डाइव करते समय ध्यान नहीं भटके इसलिए काफी पहले ही बाल छोटे करवा लिए थे। बाल कट जाएंगे तो अच्छी नहीं दिखूंगी, इसे लेकर नहीं सोचा। मन को मारकर अगर कोई चीज फायदा दे रही है तो उस डायरेक्शन में जाना चाहिए। बाल बाद में बढ़ जाएंगे। पार्लर भी नहीं जाती हूं। सोशल मीडिया यूज नहीं करती हूं। फोन से डिस्ट्रेक्शन होता है, इसलिए अपने पास फोन भी नहीं रखती। नाइट पार्टी में भी इनवॉल्व नहीं होती हूं, क्योंकि सुबह 3 बजे उठकर प्रैक्टिस करना होती है। डाइविंग देखने में सुंदर लेकिन बहुत रिस्की मेरी कजिन स्विमिंग करती है। जब 4 साल की थी, स्विमिंग देखने गई थी। तब बड़े पापा ने कहा था कि मुझे डाइविंग (गोताखोर) में डाल सकते हैं। फिर डाइविंग देखने मैं नेहरू पार्क स्विमिंग पूल गई। वहां रमेश व्यास सर स्टूडेंट्स को डाइविंग सीखा रहे थे। यहीं से मुझे इंटरेस्ट आया। 2021 में मेरी उम्र 14-15 साल थी। जूनियर नेशनल गेम्स में अच्छा परफॉर्म किया था। इससे फेडरेशन काफी इंप्रेस हुई। उन्होंने कहा कि अगर सीनियर कैटेगरी में खेलना है तो खेल सकते हो। 2021 में सीनियर कैटेगरी में खेला। वहां भी एक गोल्ड और एक ब्रॉन्ज मेडल जीता था। तभी से सीनियर नेशनल कॉम्पिटिशन खेल रही हूं। सीनियर कैटेगरी में खेलना बहुत चैलेंजिंग रहता है। सीनियर गर्ल्स को काफी अनुभव रहता है। वो पहले से मेडल जीत रहे होते हैं। इसलिए उन्हें हराकर मेडल जीतना मेरे लिए बड़ी बात है। परिवार की तरफ से बहुत सपोर्ट मिला। परिवार का बैकग्राउंड स्पोर्ट्स का नहीं है। मिठाई का बिजनेस है। मैं पहली लड़की हूं जो प्रोफेशनल स्पोर्ट्स में हूं। छोटी थी तब भी सुबह-शाम पापा-मम्मी, दादा-दादी प्रैक्टिस के लिए ले जाते थे। अभी भी पूरा सपोर्ट करते हैं। 16 सितंबर को केरल जा रही हूं। 19 से 21 सितंबर के बीच सीनियर नेशनल कॉम्पिटिशन होगा। अगला टारगेट यही है। कई बार ऐसा हुआ, डाइव लगाई और सीधे हॉस्पिटल ले गए डाइविंग देखने में बहुत सुंदर है, लेकिन है बहुत रिस्की। फोर्थ फ्लोर से डाइव लगा रहे हैं। बॉडी हवा में जीरो ग्रेविटी पर है। बॉडी लूज हो गई तो चोट लगने के चांस ज्यादा रहते हैं। बेक इंजुरी, शोल्डर इंजुरी, एंकल इंजुरी हो सकती है। फोर्थ फ्लोर से गिरने पर पानी की मार भी बहुत ज्यादा लगती है। कोई नई डाइव सीखी है, तब भी रिस्क रहता है। ऐसा बहुत बार हुआ है जब मैंने डाइव लगाई। पानी में गिरी और इंजुरी हो गई। मुझे सीधे हॉस्पिटल लेकर गए। चोट लगने पर डाइट, एक्सरसाइज और रेस्ट से रिकवर करते हैं। पढ़ाई और प्रैक्टिस बैलेंस करना मुश्किल पलक ने बताया, पढ़ाई और डाइविंग प्रैक्टिस को बैलेंस करने में काफी परेशानी आई। स्कूल टाइम शाम 4 बजे तक रहता था। डाइविंग क्लास सुबह 3.30 बजे से रहती थी। इस वजह से प्रैक्टिस नहीं हो पाती थी। 7वीं से मैंने डमी एडमिशन ले लिया। फिर कोरोना में स्कूल ऑफ हो गए। अभी 12वीं में हूं। ओलिंपियंस को देखकर हो गई थी नर्वस पलक ने बताया, 2019 में एशियन एज ग्रुप चैम्पियनशिप खेली थी। दो गोल्ड और एक सिल्वर मेडल जीता था। 2022 में वर्ल्ड एक्वेटिक चैम्पियनशिप (दोहा, कतर) में हिस्सा लिया। ये बहुत डिफिकल्ट था, क्योंकि जिन प्लेयर को देखकर इंस्पायर होती थी। जो ओलिंपिक में मेडल जीत चुके हैं, उनके साथ खेलना था। उन्हें देखकर नर्वस हो गई थी। तब परफॉर्मेंस अच्छा नहीं रहा था। इंडोनेशिया, सिंगापुर इन्विटेशनल मीट में भी हिस्सा लिया। ओलिंपिक-2028 टारगेट, इंडिया में सुविधाएं कम अभी एक कॉम्पिटिशन के लिए रेडी हो रही हूं। कोशिश है ज्यादा से ज्यादा कॉमनवेल्थ गेम्स खेलूं। ओलिंपिक-2028 टारगेट है। ओलिंपिक मेन गोल है, लेकिन उससे पहले काफी स्टेप हैं, जो मुझे क्लियर करने हैं। इंडिया में डाइविंग को लेकर इतनी सुविधाएं नहीं हैं। कोशिश यही रहती है कि जो भी रिसोर्सेस हैं, उनका यूज कर अच्छे से अच्छा परफॉर्म कर सकूं। गवर्नमेंट से अगर सुविधाएं मिलती हैं तो वो और भी अच्छी बात होगी। हम लोग और अच्छी ट्रेनिंग ले पाएंगे और देश का नाम रोशन कर पाएंगे। डाइविंग को लेकर क्रेज बढ़ रहा है। कोशिश यही है कि जैवलिन की तरह ही डाइविंग को भी लोग जाने।