Monday, September 16, 2024
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करनाल के निशांत देव पेरिस ओलंपिक में हारे:क्वार्टर फाइनल में मार्को ने 4-1 से हराया, बॉक्सिंग की दुनिया में बनाई पहचान

हरियाणा के करनाल के रहने वाले निशांत देव को पेरिस ओलिंपिक के क्वार्टर फाइनल में हार का सामना करना पड़ा। आधी रात को साढ़े 12 बजे निशांत ने बॉक्सर मार्को वर्डे से मुकाबला किया और अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। लेकिन क्वार्टर फाइनल मुकाबले में निशांत देव को मैक्सिको के मार्को वर्डे ने 4-1 से हरा दिया। निशांत देव, जिसने स्केटिंग से अपने खेल का सफर शुरू किया और बॉक्सिंग की दुनिया में कदम रखकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई। करनाल के कोर्ट मोहल्ले में बीता बचपन 23 दिसंबर 2000 को हरियाणा के करनाल में जन्मे निशांत देव ने अपने शुरुआती जीवन के दिन करनाल के कोट मोहल्ला इलाके में बिताए। यहां उन्होंने साइकिल चलाकर और गलियों में खेलकर अपने बचपन की यादों को संजोया। खेलों में निशांत की पहली रुचि स्केटिंग थी, जहां उन्होंने राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीते। 2012 में उन्होंने बॉक्सिंग की दुनिया में कदम रखा। उनके चाचा, जो एक पेशेवर बॉक्सर थे, ने निशांत को बॉक्सिंग में उतरने के लिए प्रेरित किया। निशांत के पिता देव पवन कुमार ने उनकी शुरुआती ट्रेनिंग में उनकी काफी मदद की, उन्हें सुबह जल्दी जगाकर अभ्यास के लिए ले जाते थे। 12 साल की उम्र में शुरू किया था बॉक्सिंग निशांत ने अपनी स्कूली शिक्षा ओपीएस विद्या मंदिर से पूरी की और बाद में बाबू अनंत राम जनता कॉलेज, कौल में दाखिला लिया। निशांत ने 12 साल की उम्र में कर्ण स्टेडियम में कोच सुरेंद्र चौहान के अंडर में बॉक्सिंग शुरू की। भारतीय हाई-परफॉरमेंस डायरेक्टर सैंटियागो नीवा ने निशांत की प्रतिभा को तुरंत पहचान लिया। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन किया निशांत ने कई पुरस्कार जीते हैं, जिसमें दूसरे खेलो इंडिया यूथ गेम्स और 2019 ग्रैंड स्लैम एशियाई बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक शामिल हैं। 2019 में, उन्होंने चौथी एलीट मेन्स नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में रजत पदक भी जीता। निशांत ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी सफलता जारी रखी, 2021 और 2023 में 5वीं और 6वीं एलीट पुरुष राष्ट्रीय मुक्केबाजी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीते। उन्होंने 2021 में सर्बिया में AIBA पुरुष विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में अपना अंतरराष्ट्रीय पदार्पण किया, जहाँ वे क्वार्टर फ़ाइनल में पहुँचे। 2023 में, निशांत ने उज्बेकिस्तान के ताशकंद में IBA पुरुष विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता, जो उनके करियर की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी। 12 साल बाद भी कंधे में दर्द उभर आया निशांत ने अपने करियर में कई चुनौतियों का सामना किया है। 2010 में उन्हें कंधे में चोट लगी थी, जो 2022 में फिर उभर आई। उन्हें ठीक होने के लिए सर्जरी और समय की जरूरत थी। इस मुश्किल के बावजूद निशांत ने दमदार वापसी की। उन्होंने 2023 में नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता और वर्ल्ड ओलंपिक बॉक्सिंग क्वालिफिकेशन टूर्नामेंट के जरिए पेरिस ओलंपिक में जगह पक्की की। निशांत देव की कहानी लगन, समर्पण और कड़ी मेहनत की मिसाल है। उनके संघर्ष और उपलब्धियों ने न सिर्फ करनाल, बल्कि पूरे भारत को गौरवान्वित किया है।

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