Saturday, July 27, 2024
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सरकारी नौकरी:SSC स्टेनोग्राफर ग्रेड ‘सी’ और ‘डी’ परीक्षा का नोटिफिकेशन जारी ; 12वीं पास को मौका, 2006 पदों पर भर्ती

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कर्मचारी चयन आयोग (SSC) द्वारा आयोजित की जाने वाली स्टेनोग्राफर ग्रेड ‘सी’ और ‘डी’ परीक्षा (SSC Steno Exam 2024) का नोटिफिकेशन जारी हो गया है। इस एग्जाम में सिलेक्शन होने पर सरकार के मंत्रालयों, विभागों और संगठनों में स्टेनोग्राफर ग्रेड सी और ग्रेड डी के पदों पर भर्ती की जानी है। 27 और 28 अगस्त को फॉर्म में करेक्शन का मौका दिया जाएगा। उम्मीदवारों को पहली बार फॉर्म में करेक्शन करने पर 200 रुपए और दूसरी बार करेक्शन करने पर 500 रुपए का भुगतान करना होगा। एजुकेशनल क्वालिफिकेशन : आयु सीमा : सैलरी : सिलेक्शन प्रोसेस : फीस : ऐसे करें आवेदन : ऑफिशियल नोटिफिकेशन लिंक ऑनलाइन आवेदन लिंक

पेरिस ओलिंपिक में आज से मेडल की रेस:8 खेलों के 22 मेडल इवेंट होंगे; 4 भारतीय शूटर्स पर नजरें

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पेरिस ओलिंपिक-2024 में आज से मेडल की रेस शुरू होगी। शानिवार को 8 खेलों के 22 मेडल इवेंट होंगे। इनमें से भारतीय खेलप्रेमियों की नजर शूटर्स पर होंगी, क्योंकि दोपहर 3 बजे राइफल 10 मीटर कैटेगरी का गोल्ड मैडल मैच खेला जाएगा। इस कैटेगरी में भारत के 4 निशानेबाज अपनी-अपनी दावेदारी पेश करेंगे। इसके अलावा भारतीय खिलाड़ी बैडमिंटन, मुक्केबाजी, हॉकी समेत कुल सात खेलों में हिस्सा लेंगे। भारत का पहला मैच दोपहर 12:30 बजे शूटिंग का होगा।आखिरी मैच रात 12 बजे के बाद बॉक्सिंग में होगा। शुक्रवार रात पेरिस ओलिंपिक गेम्स-2024 का अधिकृत आगाज हुआ। सीन नदी की लहरों पर गेम्स की ऐतिहासिक ओपनिंग सेरेमनी हुई। पहली बार इन खेलों की ओपनिंग सेरेमनी किसी स्टेडियम के बाहर रखी गई। 3 मेडल के लिए 4 भारतीय शूटर्स
भारत आज अपने अभियान का आगाज शूटिंग से करेंगा। यहां भारतीय निशानेबाज 10 मीटर एयर मिक्स्ड राइफल इवेंट में एक गोल्ड सहित 3 मेडल के लिए निशाना लगाएंगे। इस कैटेगरी में 2 भारतीय जोड़ियां उतर रही हैं। इनमें युवा संदीप सिंह और अनुभवी एलावेनिल वालारिवन, अर्जुन बाबूता-रमिता जिंदल के नाम शामिल हैं। इस इवेंट का क्वालिफिकेशन राउंड दोपहर 12:30 बजे से होगा, जबकि मेडल इवेंट दोपहर 2:00 बजे से शुरू होंगे। साथ ही 10 मीटर एयर पिस्टर इवेंट के क्वालिफिकेशन इवेंट में सरबजीत सिंह और अर्जुन सिंह चीमा एक्शन में होंगे। कुछ पॉइंट्स में भारत के अन्य इवेंट्स पर नजर

सरकारी नौकरी:IBPS में 6128 पदों पर निकली भर्ती, लास्ट डेट 28 जुलाई, ग्रेजुएट्स तुरंत करें अप्लाई

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इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग पर्सनल सिलेक्शन (IBPS) ने क्लैरिकल कैडर के 6 हजार से अधिक पदों पर भर्ती के लिए आयोजित की जाने वाली परीक्षा CRP Clerks XIV के लिए रजिस्ट्रेशन की आखिरी तारीख बढ़ाकर 28 जुलाई कर दी थी। इससे पहले इस भर्ती के लिए आवेदन की आखिरी तारीख 21 जुलाई थी। उम्मीदवार ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर अप्लाई कर सकते हैं। इन बैंकों में होगी भर्ती : एजुकेशनल क्वालिफिकेशन : किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय या किसी अन्य उच्च शिक्षा संस्थान से किसी भी विषय में ग्रेजुएशन की डिग्री। आयु सीमा : उम्मीदवारों की आयु निर्धारित कट-ऑफ डेट पर 27 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। आरक्षित वर्गों (SC, ST, OBC, आदि) के उम्मीदवारों को अधिकतम आयु सीमा में केंद्र सरकार के नियमों के अनुसार छूट दी जाएगी। फीस : उम्मीदवारों के लिए फीस 850 रुपए है। इसी में इंटीमेशन चार्ज भी शामिल है। वहीं एससी, एसटी और दिव्यांगों को इंटीमेशन चार्ज के तौर पर 150 रुपए देना होगा और फीस नि:शुल्क होगी। सैलरी : 19,900- 47,920 रुपए प्रतिमाह। सिलेक्शन प्रोसेस : जरूरी डॉक्यूमेंट्स : ऐसे करें आवेदन : ऑनलाइन आवेदन लिंक ऑफिशियल वेबसाइट लिंक ऑफिशियल नोटिफिकेशन लिंक

सबसे बड़ी… सबसे अनोखी… ओलिंपिक सेरेमनी:सीन नदी पर पेरिस की विरासत दिखी, लेडी गागा-सेलीन डायोन ने परफॉर्म किया, सिंधु-शरत ने तिरंगा थामा

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अद्भुत…अविस्मरणीय और अद्वितीय। ये शब्द पेरिस ओलिंपिक-2024 की ओपनिंग सेरेमनी को बयां करने के लिए काफी नहीं है। सीन नदी की लहरों पर कस्तियों पर सवार परेड ऑफ नेशंस में हिस्सा लेते खिलाड़ी…किनारे पर फैंस…पॉप स्टार लेडी गागा, आया नाकामुका और सेलीन डायोन की मनमोहक प्रस्तुतियों और एफिल टावर पर कमाल के लेजर लाइट ने सेरेमनी को यादगार बना दिया। बारिश की फुहारों ने इस पर चार चांद भी लगा दिए। ऐसा लग रहा था जैसे ‘सिटी ऑफ लव’ कहे जाने वाला पेरिस 100 साल बाद लौट रहे ओलिंपिक गेम्स का दिल खोलकर स्वागत कर रहा हो। ओलिंपिक गेम्स के इतिहास में पहली पर ओपनिंग सेरेमनी किसी स्टेडियम के बाहर रखी गई। सेरेमनी के दौरान ओलिंपिक मशाल लिए एक मिस्टीरियस मैन भी आकर्षण का केंद्र रहा। रात 2:25 बजे खिलाड़ियों की शपथ के बाद फ्रांस की संस्कृति के प्रतीक एफिल टॉवर पर लेजर लाइट शो हुआ। ओलिंपिक मशाल फ्रांस के दिग्गज खिलाड़ियों से होते हुए आगे बढ़ी, जो लीजेंड फुटबॉलर जिनेदिन जिदान, टेनिस दिग्गज राफेल नडाल, धावक एथलीट कार्ल लुईस से फ्रांस के ओल्डेस्ट लिविंग ओलिंपिक चैंपियन 100 साल के साइकिल चालक चार्ल्स कॉस्टे के पास पहुंची। फिर सेलीन डियोन की सुरीली आवाज के साथ हॉट बलून ने उड़ान भरी। इस सेरेमनी से फ्रांस ने अपनी सांस्कृतिक विविधता, क्रांति के इतिहास, वास्तुकला की शानदार विरासत की बानगी दुनिया के सामने पेश की। सबसे पहले भारतीय स्टार्स की तस्वीरें… 4 घंटे चली सेरेमनी; 94 बोट में सवार होकर निकले खिलाड़ी
इस ऐतिहासिक सेरेमनी का आगाज रात 11 बजे परेड ऑफ नेशंस से हुआ। परेड में 206 देशों के 6500 से ज्यादा के एथलीट्स आस्टरलिज ब्रिज से 94 कस्तियों पर सवार होकर 6 KM दूर एफिल टावर की ओर जा रहे थे। ये कस्तियां शहर की ऐतिहासिक इमारतों कैथेड्रल आफ नोत्रे डेम, लावरे म्युजियम और कुछ आयोजन स्थलों से होकर गुजरी। पहला दल ग्रीस का, भारत 84वें नंबर पर आया
सबसे पहले ग्रीस का दल आया, क्योंकि इसी देश में मॉर्डन ओलिंपिक गेम्स की शुरुआत हुई थी। दूसरे नंबर पर रिफ्यूजी टीम आई। भारतीय दल 84वें नंबर पर आया। इसमें पीवी सिंधु और अचंता शरत कमल तिरंगा थामे नजर आए। सबसे अंत में मेजबान फ्रांस का दल आया। भारत के खेल प्रेमी अपने स्टार्स को देखने के लिए आधी रात तक जागते रहे। नदी के किनारो 3 लाख से ज्यादा दर्शकों ने देखी सेरेमनी
3,00,000 लोग ने नदी के किनारे बनाए गए स्टैंड और 2 लाख लोग ने सीन नदी के पुल, किनारों पर बने अपार्टमेंटों की बालकन से ओपनिंग सेरेमनी देखी। सेरेमनी के लिए आयोजकों ने 2 लाख से अधिक मुफ्त टिकट दिए गए थे, जबकि एक लाख से अधिक टिकट बिके थे। ओपनिंग सेरेमनी की खास बातें… गागा ने क्लासिक कैबरे परफॉर्म किया, डियोन की इमोशनल परफॉर्मेंस
अमेरिका की पॉप स्टार लेडी गागा ने एक फ्रांसीसी कैबरे क्लासिक किया। वहीं, फ्रांसीसी पॉप स्टार नाकामुरा ने परफॉरमेंस के जरिए फ्रेंच भाषा के बारे में बताया। सेलीन डियोन ने दिसंबर 2022 में एक गंभीर न्यूरोलॉजिकल स्थिति का खुलासा करते हुए एडिथ पियाफ के ‘L’Hymne a l’amour’ परफॉर्म किया। पॉप सिंगर्स की फोटो फोटोज में हस्तियां…

देश के टॉप सरकारी डेंटल कॉलेज:टॉप 10 में दो कॉलेज दिल्ली के, पहले नंबर पर मौलाना आजाद इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल साइंसेज

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NEET UG 2024 का रिवाइज्ड रिजल्ट जारी हो चुका है। एग्जाम के स्कोर के बेसिस पर 12वीं के बाद देश के मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में MBBS और BDS कोर्सेज में एडमिशन ले सकते हैं। इस बार टॉप कॉलेज में जानेंगे देश के टॉप सरकारी डेंटल कॉलेजों के बारे में। इन कॉलेजों से BDS यानी बैचलर्स इन डेंटल सर्जरी (BDS) कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं.. 1. मौलाना आजाद इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल साइंसेज, दिल्ली
ये एक सरकारी डेंटल कॉलेज है। कॉलेज का कैंपस 30 एकड़ एरिया में बसा है। ये कॉलेज दिल्ली यूनिवर्सिटी से एफिलिएटेड है। यहां पीडियाट्रिक एंड प्रिवेंटिव डेंटिस्ट्री, ओरल पैथोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी, ओरल मेडिसिन एंड रेडियोलॉजी जैसे 10 डिपार्टमेंट्स हैं। कोर्स और एडमिशन प्रोसेस : 12वीं के बाद NEET UG स्कोर के बेसिस पर BDS कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं। 2. जामिया मिलिया इस्लामिया, दिल्ली
JMI एक सेंट्रल यूनिवर्सिटी है। यहां आर्किटेक्चर एंड एकीस्टिक्स, लॉ, डेंटिस्ट्री, मैनेजमेंट स्टडीज, एजुकेशन, साइंसेज और ह्यूमैनिटीज एंड लैंग्वेजेस जैसे टोटल 11 फैकल्टीज हैं। सभी फैकल्टीज को मिलाकर यहां टोटल 48 डिपार्टमेंट्स में पढ़ाई होती है। यूनिवर्सिटी में कुल 86 मास्टर्स प्रोग्राम ऑफर किए जाते हैं। यहां फैकल्टी ऑफ डेंटल साइंसेज से BDS की पढ़ाई कर सकते हैं। कोर्स और एडमिशन प्रोसेस : 12वीं के बाद NEET UG स्कोर के बेसिस पर BDS कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं। 3. पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल साइंसेज, रोहतक
ये इंस्टीट्यूट हरियाणा के रोहतक में है। ये पंडित बी डी शर्मा यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज से एफिलिएटेड है। इस इंस्टीट्यूट में कंजर्वेटिव डेंटिस्ट्री, ऑर्थोडॉन्टिक्स, ओरल एनाटमी जैसे 11 डिपार्टमेंट्स हैं। कोर्स और एडमिशन प्रोसेस : 12वीं के बाद NEET UG स्कोर के बेसिस पर BDS कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं। यहां BDS के बाद 9 डिपार्टमेंट्स में MDS प्रोग्राम में एडमिशन भी ले सकते हैं। 4. गवर्नमेंट डेंटल कॉलेज, नागपुर
ये एक सरकारी इंस्टीट्यूट है और महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज से एफिलिएटेड है। यहां पब्लिक हेल्थ डेंटिस्ट्री, डिपार्टमेंट ऑफ प्रोसथोडॉन्टिक्स, क्राउन एंड ब्रिज, डिपार्टमेंट ऑफ ऑर्थोडॉन्टिक्स एंड डेंटोफेशियल ऑर्थोटिक्स और डिपार्टमेंट ऑफ ओरल मेडिसिन एंड रेडिओलॉजी जैसे 9 अलग-अलग डिपार्टमेंट्स हैं। कोर्स और एडमिशन प्रोसेस : 12वीं के बाद NEET UG स्कोर के बेसिस पर BDS कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं। 5. बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, वाराणसी
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में डिपार्टमेंट ऑफ कॉमर्स की शुरुआत साल 1940 में हुई थी। BHU के इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (IMS) में फैकल्टी ऑफ डेंटल साइंसेज है। यहां डिपार्टमेंट ऑफ कंजर्वेटिव डेंटिस्ट्री एंड इंडोडॉन्टिक्स, डिपार्टमेंट ऑफ ओरल मेडिसिन एंड रेडियोलॉजी, डिपार्टमेंट ऑफ ऑर्थोडॉन्टिक्स एंड डेंटोफेशियल ऑर्थोटिक्स जैसे डिपार्टमेंट्स हैं। कोर्स और एडमिशन प्रोसेस : 12वीं के बाद NEET UG स्कोर के बेसिस पर BDS कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं। 6. गवर्नमेंट डेंटल कॉलेज, अहमदाबाद
ये एक सरकारी इंस्टीट्यूट है और गुजरात यूनिवर्सिटी से एफिलिएटेड है। यहां डिपार्टमेंट ऑफ डेंटल मटेरियल्स, डिपार्टमेंट ऑफ ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल पैथोलॉजी एंड ओरल माइक्रोबायोलॉजी, डिपार्टमेंट ऑफ ऑर्थोडॉन्टिक्स एंड डेंटोफेशियल ऑर्थोपेडिक्स जैसे कुल 14 डिपार्टमेंट्स हैं। कोर्स और एडमिशन प्रोसेस : 12वीं के बाद NEET UG स्कोर के बेसिस पर BDS कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं। 7. गवर्नमेंट डेंटल कॉलेज, बेंगलुरु
ये इंस्टीट्यूट कर्नाटक राजीव गांधी यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज से एफिलिएटेड है। यहां डिपार्टमेंट ऑफ पेडोडॉन्टिक्स एंड प्रिवेंटिव डेंटिस्ट्री, डिपार्टमेंट ऑफ प्रोसथोडॉन्टिक्स, क्राउन एंड ब्रिज, फॉरेंसिक ओडॉन्टोलॉजी जैसे 10 डिपार्टमेंट्स हैं। कोर्स और एडमिशन प्रोसेस : 12वीं के बाद NEET UG स्कोर के बेसिस पर BDS कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं। 8. गवर्नमेंट डेंटल कॉलेज, तिरुवनंतपुरम
ये इंस्टीट्यूट केरल यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज से एफिलिएटेड है। यहां ओरल पैथोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी, ओरल मेडिसिन एंड रेडियोलॉजी जैसे 9 डिपार्टमेंट्स हैं। कोर्स और एडमिशन प्रोसेस : 12वीं के बाद NEET UG स्कोर के बेसिस पर BDS कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं। 9. गवर्नमेंट डेंटल कॉलेज, मुंबई
ये इंस्टीट्यूट महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज से एफिलिएटेड है। यहां ओरल बायोलॉजी, ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल पैथोलॉजी एंड ओरल माइक्रोबायोलॉजी, पब्लिक हेल्थ डेंटिस्ट्री जैसे 9डिपार्टमेंट्स हैं। कोर्स और एडमिशन प्रोसेस : 12वीं के बाद NEET UG स्कोर के बेसिस पर BDS कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं। 10. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, अलीगढ़
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी एक सेंट्रल यूनिवर्सिटी है। यहां डॉक्टर जियाउद्दीन अहमद डेंटल कॉलेज है। यहां डिपार्टमेंट ऑफ ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल पैथोलॉजी एंड ओरल माइक्रोबायोलॉजी जैसे कुल 7 डिपार्टमेंट्स हैं। कोर्स और एडमिशन प्रोसेस : 12वीं के बाद NEET UG स्कोर के बेसिस पर BDS कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं।

पहले विजेता को मिली थी जैतून की शाखा:हिटलर का प्रोपेगैंडा टूल थी ओलिंपिक मशाल रिले; चांदी का बना होता है गोल्ड मेडल

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776 ईसा पूर्व यानी आज से करीब 2800 साल पहले। ग्रीस की ओलंपिया घाटी में जंगल के एक हिस्से को काटकर मैदान तैयार किया गया। बड़े से मैदान में केवल पैदल चलने वाला एक ट्रैक बनाया गया। ये तैयारियां एनिसिएंट ओलिंपिक के शुभारंभ के लिए हो रही थीं। तय हुआ कि ओलिंपिक का पहला खेल 192 मीटर की पैदल दौड़ होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि ग्रीक माइथोलॉजी के हीरो हरक्यूलिस बिना सांस लिए इतनी दूर तक दौड़ सकते थे। कुछ चुनिंदा दर्शकों के बीच पैदल दौड़ शुरू हई। होटल में खाना बनाने वाले एक शेफ कोरोएबस ने रेस जीत ली। फर्स्ट प्राइज में उन्हें गोल्ड मैडल नहीं, बल्कि जैतून के पेड़ की शाखा दी गई, क्योंकि यह ग्रीक लोगों की देवी का प्रतीक था। ‘ओलिंपिक के किस्से’ सीरीज के दूसरे एपिसोड में ओलिंपिक से जुड़ी ऐसी ही रोचक परंपराएं जानेंगे। कैसे जैतून की शाखा गोल्ड मेडल में बदली। ओलिंपिक ट्रूस कैसे देशों को लड़ने से रोकता है। ओलिंपिक मशाल की कहानी क्या है… ग्रीक माइथोलॉजी में शांति का प्रतीक था जैतून
मेडल्स, ओलिंपिक की वो परंपरा है जिसे हासिल करने के लिए दुनियाभर के खिलाड़ी हर चौथे साल में खेलों के इस महाकुंभ से जुड़ते हैं। प्राचीन ओलिंपिक में विजेता खिलाड़ियों को जीतने पर जैतून के पेड़ की एक शाखा दी जाती थी। ऐसा क्यों? इसका जवाब ग्रीक माइथोलॉजी में मिलता है। जैतून यानी ऑलिव के पेड़ का संबंध ग्रीक गॉड जीउस और थेमिस की बेटी इरिनी से जुड़ा है। शांति की देवी मानी जाने वाली इरिनी को हमेशा जैतून की शाखा के साथ ही चित्रित किया जाता है। इसके अलावा जैतून की शाखा को युद्ध की समाप्ति और शांति का प्रतीक भी माना जाता है। ग्रीक एम्पायर में जैतून का पेड़ धर्म के साथ-साथ आर्थिक और राजनीतिक महत्व भी रखता था। 6वीं शताब्दी के दौर में इसे संरक्षित करने के लिए कानून भी थे। यदि कोई व्यक्ति इस पेड़ को काट देता था, तो उसके लिए मृत्युदंड देने तक का कानून था। 1900 तक सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल ही दिया जाता था
ओलिंपिक विजेताओं को जैतून की शाखा देने की परंपरा मॉर्डन ओलिंपिक में भी जारी रही। 1896 में विजेताओं को मेडल के साथ जैतून की शाखाएं और डिप्लोमा भी दिए गए, लेकिन पहले ओलिंपिक में प्रतियोगिता के सिर्फ टॉप 2 एथलीट्स को ही सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल दिया जाता था। तीसरे स्थान पर आने वाला खिलाड़ी को खाली हाथ लौटना पड़ता था। 1900 के पेरिस ओलिंपिक तक यह स्थिति बनी रही। 1904 के लॉस एंजिल्स ओलिंपिक के साथ पहली बार गोल्ड मेडल दिए जाने की परंपरा की शुरुआत हुई। यह मेडल प्रतियोगिता में पहले स्थान पर आने वाले खिलाड़ियों को दिया जाता था। वहीं दूसरे और तीसरे स्थान पर आने वाले एथलीट को अब सिल्वर और ब्रॉन्ज का मेडल दिया जाने लगा। गोल्ड की शुरुआत पहले ओलिंपिक से क्यों नहीं हुई? इसके पीछे तर्क दिया जाता है कि गोल्ड काफी महंगा होता था। इस कारण सोने से बना मेडल खिलाड़ियों को नहीं दिया जाता था। चांदी से बना होता है ओलिंपिक गोल्ड मेडल
1912 के स्टॉकहोम ओलिंपिक तक गोल्ड मेडल में 90% सोना और 10% अन्य धातु शामिल होती थीं। 1920 के एंटवर्प ओलिंपिक में ओलिंपिक गोल्ड बनाने की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव देखने को मिला। इस आयोजन में विजेताओं को दिए गए गोल्ड मेडल्स में 92% चांदी थी। मात्र 6 ग्राम सोने से इसे पॉलिश करके सुनहरा बनाया जाता था। तब से लेकर अब तक गोल्ड मेडल इसी तरह से बनाए जाते हैं। सिल्वर मेडल में 92% सिल्वर और बाकी हिस्सा अन्य धातुओं का होता है। इसी तरह ब्रॉन्ज मेडल में कांसे के साथ तांबा और जिंक जैसी धातुओं को मिलाया जाता है। 26 जुलाई 2024 से पेरिस में ओलिंपिक शुरू हो रहे हैं। इस बार ओलिंपिक मेडल्स की बनावट में खास बदलाव किया गया है। इस बार जो मेडल विजेताओं को दिए जाएंगे उनमें पेरिस के ऐतिहासिक एफिल टॉवर के लोहे के टुकड़े भी मिलाए गए हैं। 135 साल पुराने एफिल टॉवर के 18 हजार से ज्यादा लोहे के एंगल्स से बनाया गया। इसका निर्माण एक मेले के लिए किया था। गुस्ताव एफिल के बनाए इस टॉवर की आयु मात्र 20 साल आंकी गई थी, लेकिन यह अब तक खड़ा हुआ है। जब आखिरी बार एफिल की रिपेयरिंग की गई तो कई लोहें के टुकड़ों को निकालकर अलग कर दिया गया। अब इन्हीं टुकड़ों को ओलिंपिक के मेडल्स में शामिल किया गया है। एक मेडल ऊपर भाग पर करीब 18 ग्राम लोहे से एक हेक्सागोन बनाया गया है। इसके अलावा मेडल के ऊपर लगने वाले रिबन पर भी विशेष ढंग से एफिल टॉवर की आकृति बनाई गई है। ओलिंपिक खेलों में मशाल जलाने की परपंरा 28 जुलाई 1928, मॉर्डन ओलिंपिक का आठवां संस्करण डच देश नीदरलैंड की राजधानी एम्सटर्डम में शुरू हुआ। ये ओलिंपिक महिलाओं के लिहाज से काफी खास था। इस आयोजन से पहली बार महिलाओं को एथलेटिक्स और ट्रैक एंड फील्ड गेम्स में उतरने का मौका मिला था। इस फैसले पर इंटरनेशनल ओलिंपिक कमेटी को मॉर्डन ओलिंपिक फाउंडर क्यूबर्टिन समेत कई लोगों की आलोचना भी झेलनी पड़ी। इसके बाद भी 1928 से महिलाओं के लिए शुरू हुए जो परंपरा जारी है। 1928 के ही ओलिंपिक से एक और चीज निकली जो आगे चलकर ओलिंपिक की खास परंपरा बनी। दरअसल एम्सटर्डम में ओलिंपिक स्टेडियम के ठीक सामने एक बड़े से टॉवर के ऊपर एक मशाल में आग जलाई गई। इसके पीछे कोई खास मकसद नहीं था, लेकिन यह लोगों को काफी पसंद आई। 1932 के लॉस एंजिल्स ओलिंपिक में भी एंट्री गेट पर इसी तरह की मशाल जलाई गई। नाजियों के प्रचार के लिए शुरू की गई थी ओलिंपिक टॉर्च रिले
1936 में ओलिंपिक हिटलर के देश जर्मनी की राजधानी बर्लिन में आयोजित हुए। इसकी तैयारी में जर्मनी 1931 से जुटा हुआ था। इसी साल बर्लिन खेलों के चीफ ऑर्गनाइजर कार्ल डायम ने जैसे-तैसे इंटरनेशनल ओलिंपिक कमेटी को मनाकर ओलिंपिक मेजबानी हासिल कर ली। 1933 में एडोल्फ हिटलर जर्मनी का चांसलर बना तो बर्लिन ओलिंपिक के भविष्य पर खतरा मंडराने लगा। हिटलर मॉर्डन ओलिंपिक यहूदियों और फ्रीमसन्स का खेल मानता था, लेकिन हिटलर यूनानियों पर भरोसा करता था। ऐसे में हिटलर तत्कालीन प्रोपेगैंडा मिनिस्टर ने उसे समझाया कि अगर ओलिंपिक से मशाल रिले निकाली जाती है तो वह नाजियों के दुनियाभर में प्रचार का टूल बनेगा। हिटलर को अपने मंत्री का सुझाव जम गया। कार्ल डायम नाजी पार्टी के सदस्य नहीं थे, लेकिन ओलिंपिक आयोजन के लिए उन्होंने मशाल रिले की बात मान ली। रिले के लिए एक हथियार बनाने वाली कंपनी से स्टील के विशेष मशाल तैयार करवाए गए। इसमें मैग्निशियम डाला गया जिसे किसी भी मौसम में जलाकर रखा जा सकता है। 20 जुलाई 1936 की दोपहर को ग्रीस के ओलंपिया में सूरज की तेज किरणों और पेराबॉलिक लेंस की सहायता से, ग्रीक देवी हेरा के मंदिर में एक बड़े से बाउल में आग जलाई गई। पहले मशाल बीयरर कोंस्टैंटिनोस कोंडिलिस ने इसी बाउल से मशाल को जलाया और 12 दिन की मशाल रिले की शुरुआत की। ग्रीस से मशाल बुल्गारिया, यूगोस्लाविया, हंगरी, ऑस्ट्रिया और चेकोस्लोवाकिया होते हुए 3,000 किमी से ज्यादा की यात्रा की। 31 जुलाई 1936 की सुबह जर्मनी में करीब 50 हजार लोगों ने मशाल थामे फ्रिट्ज शिलगेन का स्वागत किया। शिलेगन ने स्टेडियम का और हिटलर के बॉक्स का चक्कर लगाकर, स्टेडियम के में बने बाउल को मशाल की आग से रोशन किया। इसके बाद बर्लिन ओलिंपिक की शुरुआत हुई। 1936 के बाद से ओलिंपिक से पहले मशाल या टॉर्च रिले निकालने की परंपरा बन गई जो आज भी है। टॉर्च से जुड़ा एक फैक्ट ये भी है कि रिले के दौरान धावक एक दूसरे को केवल फ्लेम शेयर करते हैं, जबकि टॉर्च अलग-अलग होती हैं। यह फ्लेम आज भी ओलंपिया से ही लाई जाती है। ओलिंपिक की ओपनिंग सेरेमनी में ग्रीस सबसे आगे क्यों चलता है?
टॉर्च रिले के बाद ओपनिंग सेरेमनी के साथ एथलीट की आधिकारिक एंट्री होती है। इसमें बारी-बारी से सभी देशों के खिलाड़ियों का दल सेरेमनी में हिस्सा लेते हैं। इस सेरेमनी में सबसे पहले ग्रीस के खिलाड़ियों के दल की एंट्री होती है। दरअसल, इसके पीछे की वजह ओलिंपिक के इतिहास से जुड़ी है। ओलिंपिक की शुरुआत पुराने दौर में ग्रीस के ओलंपिया में ही हुई थी। साथ ही 1896 के पहले मॉर्डन ओलिंपिक ग्रीस के एथेंस शहर में ही आयोजित किए थे। ग्रीस के सम्मान में ओलिंपिक में उन्हें सबसे पहले एंट्री करने का मौका दिया जाता है। परंपरा के मुताबिक ओलिंपिक का होस्टिंग देश सबसे बाद में एंट्री लेता है। इस बीच अन्य देश अल्फाबेटिकल ऑर्डर में एंट्री लेते हैं। 2004 में इस परंपरा को तोड़ा गया था। इस साल ग्रीस के एंथेस में ओलिंपिक खेल आयोजित किए थे। ओलिंपिक मेजबान होने के कारण इन खेलों में ग्रीस ने सबसे पहले एंट्री न लेकर सबसे बाद में एंट्री ली थी। ‘ब्लड इन द वॉटर’ इंसीडेंट के बाद शुरू हुई ओलिंपिक क्लोजिंग सेरेमनी
ओपनिंग सेरेमनी में जहां सभी खिलाड़ी अपने देश के अन्य खिलाड़ियों के साथ चलते हैं वहीं क्लोजिंग सेरेमनी खिलाड़ी अलग-अलग देशों के एथलीट के साथ मार्च करते हैं। 1956 के पहले तक क्लोजिंग सेरेमनी नहीं होती थी। 1956 के मेलबर्न ओलिंपिक में सोवियत यूनियन और हंगरी के बीच वॉटरपोलो गेम्स का सेमीफाइनल खेला जा रहा था। यह दौर शीत युद्ध का था। जर्मनी में नाजियों की हार के बाद हंगरी पर सोवियत यूनियन शासन करता था। वॉटरपोलो मैच के कुछ हफ्तों पहले ही सोवियत यूनियन की सेना ने हंगरी में पनप रहे छात्रों के विरोध के मजबूती से कुचल दिया था। इसमें कुछ छात्रों के मौत भी हो गई। ये छात्र सोवियत यूनियन की कम्यूनिस्ट विचारधारा का विरोध कर रहे थे। इसके चलते हंगरी के नागरिकों समेत खिलाड़ियों में भी इसके लिए गुस्सा था। जब मैच में दोनों टीमें सामने आईं तो खिलाड़ियों का गुस्सा निकलकर सामने आया। मैच के दौरान ही दोनों टीमों के खिलाड़ियों में मुठभेड़ हो गई। इसमें एक खिलाड़ी चोटिल हो गया, जिससे पूल में खून फैल गया। इस घटना को अखबारों में ‘ब्लड इन द वॉटर’ हेडलाइन के साथ छापा था। इस घटना के बाद जॉन विंग नाम के एक ऑस्ट्रेलियाई स्टूडेंट ने ओलिंपिक कमेटी को एक पत्र लिखते हुए सुझाव दिया कि आयोजन के अंतिम दिन एक क्लोजिंग सेरेमनी होनी चाहिए। इसमें सभी खिलाड़ी एक टीम की तरह चलेंगे, इससे खेल भावना का विस्तार होगा। यह सुझाव आईओसी को बेहतर लगा और इसी साल से क्लोजिंग सेरेमनी और खिलाड़ियों के साझा मार्च की शुरुआत हुई। क्या होता है ओलिंपिक से पहले लाया जाने वाला ओलिंपिक ट्रूस
युद्ध जैसी अप्रिय घटनाओं का प्रभाव ओलिंपिक पर न पड़े, इसके लिए अब प्रत्येक ओलिंपिक के पहले यूएन में ओलिंपिक ट्रूस या युद्धविराम प्रस्ताव पास किया जाता है। ओलिंपिक ट्रूस या युद्धविराम की शुरुआत एनिसिएंट ओलिंपिक के दौर में एलिस के राजा इफिटोस से मानी जाती है। वे हर चार साल में होने वाले ओलिंपिक खेलों के दौरान ग्रीस में होने वाले क्षेत्रीय संघर्षों से छुटकारा चाहते थे। ऐसे में उन्होंने युद्धविराम राजाओं के सामने युद्ध विराम का प्रस्ताव रखा। इस पर पीसा के राजा क्लीथस्थेनेस और स्पार्टा के राजा लाइकर्गस ने समर्थन जताया। इसके बाद अन्य राज्यों का भी समर्थन मिला और इस समझौते को एकेचेइरा नाम दिया गया। इसके तहत हर चार साल में ओलिंपिक के आयोजन से 7 दिन पहले से 7 दिन बाद तक युद्धविराम रहेगा, जिससे ओलिंपिक में शामिल होने वाले खिलाड़ी, दर्शक और कलाकार सुरक्षित आ-जा सकें। इसी परंपरा को 1992 में आईओसी ने अपनाया और 1993 में संयुक्त राष्ट्र ने ओलिंपिक ट्रूस का पहला प्रस्ताव पास किया। ओलिंपिक ट्रूस में देश ओलिंपिक शुरु होने के सात दिन पहले से ओलिंपिक समाप्त होने तक अपनी लड़ाई खत्म कर युद्धविराम की घोषणा करें। ओलिंपिक ट्रूस हर दो साल में ओलिंपिक और पैरालंपिक से पहले लाया जाता है। इस पेरिस ओलिंपिक से पहले यह प्रस्ताव लाया गया था, जिसमें सीरिया और रूस ने भाग नहीं लिया। 1988 से ओलिंपिक में फहराया जा रहा है एक ही झंडा
अन्य परंपराओं की तरह ओलिंपिक का पांच रंग-बिरंगे छल्लों वाला लोगो भी ओलिंपिक की पंरपरा का मजबूत हिस्सा है। इस लोगो को ओलिंपिक से जोड़ने का श्रेय मॉडर्न ओलिंपिक फाउंडर पियरे डि क्यूबर्टिन को जाता है। 1913 में क्यूबर्टिन ने ओलिंपिक समिति को एक पत्र लिखा। पत्र के ऊपरी हिस्से में पांच गोलकार छल्ले बने हुए थे। जो आपस में जुड़े हुए थे। हर छल्ले को एक अलग रंग दिया गया था। इसे क्यूबर्टिन ने अपने हाथ से बनाया था। अगस्त 1913 में जब ओलिंपिक कमेटी की बैठक हुई तो क्यूबर्टिन ने इस लोगो पर बात करते हुए बताया ये पांच छल्ले दुनिया के पांच हिस्सों अफ्रीका, अमेरिका, यूरोप और ओसियाना का प्रतिनिधित्व करते हैं। लोगो के पांच रंग और बैकग्राउंड का सफेद रंग दुनिया के सभी देशों की सहभागिता को दर्शाता है। 1920 के एंटवर्प ओलिंपिक में पहली बार इसी लोगो वाला झंडा स्टेडियम में फहराया गया। ओलिंपिक खत्म होने के बाद इस फ्लैग को एंटवर्प के मेयर ने अगले ओलिंपिक के होस्ट पेरिस के मेयर को सौंप दिया। यही फ्लैग को अगले होस्ट सिटी के मेयर को सौंपने की परंपरा शुरू हुई। 1984 के लॉस एजेंल्स ओलिंपिक के बाद इस फ्लैग को रिटायर्ड कर दिया गया। 1988 के सियोल ओलिंपिक से नया फ्लैग लाया गया। *** ‘ओलिंपिक के किस्से’ सीरीज के तीसरे एपिसोड में 28 जुलाई को जानिए कैसे ओलिंपिक का आयोजन विश्व युद्ध, हिटलर और शीतयुद्ध जैसी घटनाओं से प्रभावित हुआ… *** रेफरेंस- बुक रेफरेंस- **** ओलिंपिक सीरीज का पहला एपिसोड- ओलिंपिक में बिना कपड़ों के उतरते थे खिलाड़ी:सैनिक की मौत से जुड़ी मैराथन रेस; भारत में जन्मी पहली महिला विजेता

भारत Vs श्रीलंका टी-20 सीरीज का पहला मैच आज:सूर्या की कप्तानी और गंभीर के कोचिंग में पहला दौरा; मिशन 2026 की शुरुआत

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भारत और श्रीलंका के बीच तीन मैचों की टी-20 सीरीज का पहला मुकाबला आज पल्लेकेले में खेला जाएगा। श्रीलंका दौरे के लिए नए कोच गौतम गंभीर के नेतृत्व में टीम इंडिया श्रीलंका पहुंच गई है। 27 जुलाई से 7 अगस्त तक चलने वाले इस दौरे में टीम इंडिया 3-3 मैच की टी-20 और वनडे सीरीज खेलेगी। इसके साथ ही रोहित शर्मा, विराट कोहली और रवींद्र जडेजा के संन्यास के बाद नए कप्तान सूर्यकुमार यादव के नेतृत्व में टीम इंडिया का मिशन 2026 शुरू हो जाएगा। मैच डिटेल्स
सीरीज- 3 मैचों की टी-20 सीरीज
तारीख- 27 जुलाई
मैच- भारत Vs श्रीलंका
टॉस- 6:30 PM, मैच स्टार्ट- 7:00 PM
स्टेडियम- पल्लेकेले इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम, श्रीलंका आखिरी 5 मैच भारत के खिलाफ 29 में से महज 9 मैच जीत सका है श्रीलंका स्टार्स पर नजरें रोहित, कोहली और जडेजा के संन्यास के बाद पहला बड़ा दौरा
टी-20 वर्ल्ड कप जीतने के बाद तुरंत बाद कप्तान रोहित शर्मा और विराट कोहली ने इस फॉर्मेट को अलविदा कह दिया था। एक दिन बाद रवींद्र जडेजा ने भी क्रिकेट के इस फॉर्मेट से संन्यास ले लिया। ऐसे में 3 दिग्गज खिलाड़ियों के जाने के बाद टीम इंडिया का यह पहला बड़ा दौरा है। इससे पहले टीम शुभमन गिल की कप्तानी में जिम्बाब्वे गई जहां 5 मैच की सीरीज में 4-1 से जीत दर्ज करने में सफल रही। साल 2021 के बाद पहला श्रीलंका दौरा
भारतीय टीम ने आखिरी बार 2021 में श्रीलंका का दौरा किया था। टीम ने 3 वनडे और 3 टी-20 मैचों की सीरीज खेली थी। तीन मैचों की वनडे सीरीज 2-1 से जीती थी। टी-20 सीरीज में भारत को 2-1 से हार झेलनी पड़ी थी। टॉस का रोल और पिच रिपोर्ट
पल्लेकेले इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम की पिच पर शुरुआत में तेज गेंदबाजों को थोड़ी मदद मिलने की उम्मीद है। दूसरी पारी में इस पिच पर रन बनाना और आसान हो जाएगा। ऐसे में इस पिच पर टॉस जीतने वाला कप्तान पहले गेंदबाजी करने का फैसला कर सकता है। यहां अब तक 23 टी-20 इंटरनेशनल मैच खेले गए हैं। 12 बार पहले बल्लेबाजी करने वाली टीमों ने जीत हासिल की है। 9 मैचों में बाद में बल्लेबाजी करते हुए टीमों को जीत मिली है। दो मैच का रिजल्ट नहीं निकल सका है। दोनों टीमों की पॉसिबल प्लेइंग-11
भारत: सूर्यकुमार यादव (कप्तान), शुभमन गिल, यशस्वी जायसवाल, ऋषभ पंत (विकेटकीपर), रिंकू सिंह, शिवम दुबे, हार्दिक पांड्या, अक्षर पटेल, रवि बिश्नोई, अर्शदीप सिंह और मोहम्मद सिराज।
श्रीलंका: चरिथ असलांका (कप्तान), पथुम निसांका, कुसल मेंडिस (विकेटकीपर), कुसल परेरा, कामिंदु मेंडिस, दासुन शनाका, वानिंदु हसरंगा, महीश थीक्षाना, असिथा फर्नांडो, दिलशान मदुशंका और मथीशा पथिराना।

क्या ओलिंपिक में 10 प्लस मेडल जीतेगा भारत:117 भारतीय मैदान में; शूटिंग, एथलेटिक्स समेत 9 खेलों में मेडल की उम्मीद

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साल 1996। अटलांटा ओलिंपिक में टेनिस का ब्रॉन्ज मेडल मैच चल रहा था। भारतीय खिलाड़ी लिएंडर पेस ब्राजील के फर्नांडो मेलिजेनी के खिलाफ एक सेट से पीछे चल रहे थे। दूसरे सेट में भी वे 1-2 से पिछड़ गए। यह सेट गंवाते ही पेस मेडल से चूक जाते। यहां से उन्होंने जोरदार वापसी की। दूसरा सेट जीता। फिर तीसरा सेट जीतकर मैच और ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम कर लिया। ओलिंपिक में 16 साल के इंतजार के बाद भारत को कोई मेडल मिला था। इसके बाद से भारत ने हर ओलिंपिक में कम से कम एक मेडल जरूर जीता। आज से पेरिस ओलिंपिक में खेलों की शुरुआत होने जा रही है। 117 भारतीय प्लेयर्स 16 खेलों में 71 गोल्ड मेडल के लिए दावेदारी पेश करेंगे। सवाल यह नहीं है कि भारत कोई मेडल जीतेगा या नहीं। इस बार सवाल यह है कि भारत पहली बार 10 या इससे ज्यादा मेडल जीत पाएगा या नहीं? स्टोरी में इसका जवाब तलाशते हैं… 9 खेलों में दावा मजबूत
भारत पेरिस ओलिंपिक के 16 खेलों में हिस्सा ले रहा है। इनमें से 9 खेल ऐसे हैं, जिनमें भारतीय खिलाड़ी मेडल जीतने के दावेदार माने जा रहे हैं। इन खेलों में आर्चरी, एथलेटिक्स, बैडमिंटन, बॉक्सिंग, हॉकी, गोल्फ, शूटिंग, वेटलिफ्टिंग और रेसलिंग शामिल हैं। कुछ खेलों में एक से ज्यादा मेडल आने की उम्मीद हैं। इनके अलावा 7 और खेलों में भी भारतीय प्लेयर्स उतरेंगे, लेकिन इतिहास और रीसेंट रिकॉर्ड को देखते हुए उनमें मेडल की उम्मीद कम ही है। जानते हैं उन 9 खेलों के बारे में जिनमें भारत को मेडल मिल सकते हैं… 1. शूटिंग: 15 इवेंट में 21 भारतीय
भारत को मेडल की सबसे ज्यादा आस शूटिंग से है। मेंस और विमेंस दोनों कैटेगरी के 6-6 इवेंट में भारतीय निशानेबाज हिस्सा लेंगे। मेंस कैटेगरी में 10 और विमेंस कैटेगरी में 11 शूटर मेडल के लिए निशाना साधेंगे। इन्हीं में से 10 शूटर्स 3 टीम इवेंट में भी हिस्सा लेंगे। मनु भाकर 2 इंडिविजुअल इवेंट्स में हिस्सा लेने वालीं इकलौती भारतीय रहेंगी। उन्होंने 10 मीटर एयर और 25 मीटर पिस्टल इवेंट में क्वालिफाई किया है। इसके साथ ही वह 10 मीटर एयर पिस्टल टीम इवेंट का भी हिस्सा हैं। अगले ग्राफिक्स में देखिए किस इवेंट में कौन सा शूटर हिस्सा लेगा। कितने मेडल मिल सकते हैंः 2 से 5 *ओलिंपिक शूटिंग इतिहास में भारत ने एक गोल्ड, 2 सिल्वर और एक ब्रॉन्ज मेडल जीता है। 2012 में विजय कुमार ने सिल्वर जीतकर भारत को इस खेल में आखिरी सफलता दिलाई थी। 2. आर्चरी: सभी इवेंट में उतरेंगे इंडियन आर्चर
आर्चरी में भारत ने फुल स्क्वॉड उतारा है। 5 इवेंट्स में मेंस-विमेंस दोनों कैटेगरी के 3-3 आर्चर हिस्सा लेंगे। भारत ने मेंस और विमेंस दोनों कैटेगरी के टीम इवेंट में रैंकिंग के आधार पर क्वालिफाई किया। इसलिए देश मेंस-विमेंस इंडिविजुअल, मेंस-विमेंस टीम और मिक्स्ड टीम तीनों इवेंट में हिस्सा लेगा। कितने मेडल की उम्मीद: 1 से 2
आर्चरी में भारत ने कभी ओलिंपिक मेडल नहीं जीता। वर्ल्ड नंबर-1 रह चुकीं दीपिका कुमारी ने 3 बार दावेदारी पेश की, लेकिन वह कभी क्वार्टर फाइनल से आगे नहीं बढ़ सकीं। दीपिका फिर एक बार ओलिंपिक में उतरेंगी, लेकिन इस बार वह अकेली दावेदार नहीं हैं। धीरज, तरुणदीप और प्रवीण जाधव की मेंस टीम से भी मेडल की उम्मीद है। मेंस प्लेयर्स से इंडिविजुअल के साथ रिकर्व टीम इवेंट में भी मेडल की उम्मीद है। टीम ने आर्चरी वर्ल्ड कप में कोरिया की ओलिंपिक चैंपियन टीम तक को हराया था। इसलिए आर्चरी में 1 या 2 मेडल की उम्मीद तो की ही जा सकती है। इनके अलावा भजन कौर और अंकिता भकत विमेंस कैटेगरी में उतरेंगी, हालांकि इनसे मेडल की उम्मीदें कम हैं। 3. बैडमिंटन: 4 इवेंट में 7 भारतीय उतरेंगे
बैडमिंटन में भारत ने मिक्स्ड डबल्स छोड़कर सभी 4 इवेंट में क्वालिफाई किया। मेंस सिंगल्स में 2, विमेंस सिंगल्स में एक शटलर ने जगह बनाई। वहीं मेंस डबल्स और विमेंस डबल्स में एक-एक जोड़ी ने क्वालिफाई किया। 7 शटलर्स के रैकेट पर 4 गोल्ड मेडल दांव पर हैं। कितने मेडल की उम्मीद: 1 से 3 *बैडमिंटन में भारत ने 2 ब्रॉन्ज और एक सिल्वर मेडल जीता है। 2020 में पीवी सिंधु ने ब्रॉन्ज जीतकर भारत को इस खेल में आखिरी सफलता दिलाई थी। 4. बॉक्सिंग: 6 बॉक्सर्स के मुक्कों पर निर्भर 6 गोल्ड
भारत के 6 बॉक्सर्स ने 6 अलग-अलग कैटगरी के बॉक्सिंग इवेंट में ओलिंपिक क्वालिफाई किया है। इनमें 4 विमेंस और 2 मेंस बॉक्सर शामिल हैं। वर्ल्ड चैंपियन निखत जरीन और ओलिंपिक मेडल विजेता लवलीना बोरगोहेन के साथ प्रीति पवार और जैस्मिन लम्बोरिया विमेंस बॉक्सर हैं। मेंस कैटेगरी में अमित पंघल और निशांत देव ने क्वालिफाई किया। कितने मेडल की उम्मीद: 2 से 4 *ओलिंपिक बॉक्सिंग इतिहास में भारत ने 3 मेडल जीते, तीनों ब्रॉन्ज रहे। 2008 में विजेंदर सिंह, 2012 में मैरी कॉम और 2020 में लवलीना ने मेडल जीता था। 5​​​​​​. रेसलिंग: 6 रेसलर्स लगाएंगे 6 गोल्ड के लिए दांव
रेसलिंग फेडरेशन में पिछले ओलिंपिक के बाद से हुई उथल-पुथल के बावजूद 6 रेसलर्स ने भारत से खेल महाकुंभ में जगह बना ली। विनेश फोगाट, अंतिम पंघल और अंशु मलिक के साथ 2 और विमेंस रेसलर ने क्वालिफाई किया। मेंस कैटेगरी में अमन सहरावत एकमात्र उम्मीदवार और मेडल के दावेदार हैं। कितने मेडल की उम्मीद: 2 से 4 *ओलिंपिक रेसलिंग इतिहास में भारत ने 7 मेडल जीते हैं। इनमें 5 ब्रॉन्ज और 2 सिल्वर शामिल हैं। 2012 और 2020 में भारत ने 2-2 मेडल जीते। 2020 में बजरंग पूनिया ने ब्रॉन्ज और रवि दहिया ने सिल्वर जीता था। 2008 से भारत ने हर बार रेसलिंग में मेडल जीते। 6. हॉकी: मेंस टीम से प्रदर्शन दोहराने की उम्मीद
ओलिंपिक इतिहास में भारत ने अगर सबसे ज्यादा गोल्ड मेडल किसी खेल में जीते है तो वह हॉकी ही है। 1928 में पहली बार हॉकी खेलना शुरू करने के बाद 1980 तक भारत ने 8 गोल्ड, एक सिल्वर और 2 ब्रॉन्ज मेडल जीते। फिर आया इंडियन हॉकी का बुरा दौर, सबसे बुरा दौर भी कहें तो गलत नहीं होगा। 1980 के बाद भारत ने 2016 तक ब्रॉन्ज मेडल तो छोड़िए सेमीफाइनल तक में जगह नहीं बनाई। 2008 में तो हालात इतने खराब हो गए कि टीम क्वालिफाई भी नहीं कर सकी। इस दौरान एशियन गेम्स और एशिया कप में खूब सफलता मिली, लेकिन ओलिंपिक मेडल दूर ही रहा। फिर 2020 टोक्यो ओलिंपिक में टीम ने कमबैक किया, सेमीफाइनल में क्वालिफाई किया और थर्ड प्लेस मैच जीतकर ब्रॉन्ज मेडल भी अपने नाम किया। टीम 2022 में एशियन गेम्स और 2023 में एशियन चैंपियंस ट्रॉफी भी जीत चुकी है। 2022 कॉमनवेल्थ गेम्स में टीम रनर-अप रही। ऐसे में इस बार हरमनप्रीत सिंह की कप्तानी में टीम से अपने पिछले मेडल का रंग बदलने की उम्मीद है। 7. वेटलिफ्टिंग: एक ही दावेवार, उनसे ही उम्मीद
वेटलिफ्टिंग में भारत का दबदबा कभी नहीं रहा। 2000 में कर्णम मल्लेश्वरी ने ब्रॉन्ज जीतकर देश को इस खेल में पहला ओलिंपिक मेडल दिलाया। इंडियन वेटलिफ्टर फिर 2004 में चौथे और 2012 में 12वें स्थान पर रहीं। 2020 में फिर मीराबाई चानू ने 49 किग्रा कैटेगरी में वह कर दिखाया जो भारत के इतिहास में कभी नहीं हुआ। उन्होंने सिल्वर मेडल जीता और देश को इस कैटेगरी में पहली बार रजत पदक दिखाया। चानू इस बार भी वेटलिफ्टिंग में भारत की इकलौती उम्मीद हैं। उन्होंने 2022 कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड भी जीता था। 8. गोल्फ में पहले मेडल का इंतजार
भारत के 4 गोलफर्स ने पेरिस ओलिंपिक में क्वालिफाई किया है, विमेंस और मेंस दोनों ही कैटेगरी में 2-2 गोल्फर्म शामिल हैं। दोनों कैटेगरी में एक-एक गोल्ड मेडल दांव पर है। इस खेल में भारत ने अब तक कोई मेडल नहीं जीता, लेकिन इस बार अदिति अशोक मेडल जिता सकती हैं। अदिति टोक्यो ओलिंपिक के आखिरी दिन भारत को मेडल जिताने के करीब पहुंची थीं। लेकिन फाइनल राउंड में ब्रॉन्ज जीतने से महज एक पॉइंट से दूर रह गईं। उन्होंने चौथे स्थान पर फिनिश किया। अदिति एशिया की टॉप गोल्फर हैं और पिछले प्रदर्शन के आधार पर ही इस बार उनसे मेडल की उम्मीद हैं। उनके अलावा दिक्षा डागर, शुभांकर शर्मा और गगनजीत भुल्लर भी गोल्फ कॉम्पिटिशन में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। 9: एथलेटिक्स में सबसे बड़ा दल उतारा
एथलेटिक्स के जैवलिन, शॉट पुट, लॉन्ग जंप, रिले और स्टीपलचेज जैसे 18 इवेंट्स में भारत के 29 एथलीट्स हिस्सा लेंगे। इनमें 18 पुरुष और 11 महिलाएं शामिल हैं। एथलेटिक्स के ट्रैक पर 8, रोड पर 3 और फील्ड में 7 इवेंट्स के लिए भारतीय एथलीट्स ने क्वालिफाई किया। कितने मेडल की उम्मीद: 1 से 3 भारत इन खेलों में भी भाग लेगा, लेकिन मेडल की उम्मीद बेहद कम ग्राफिक्स: कुणाल शर्मा, अंकलेश विश्वकर्मा, संदीप पाल

मैनेजमेंट फंडा by एन रघुरामन:ऑफिस में खुद को इंप्रेसिव बनाएं; बॉडी लैंग्वेज का भी ख्याल रखें

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मैनेजमेंट फंडा by एन रघुरामन के 181वें एपिसोड में आपका स्‍वागत है। ऑफिस में केरिजमैटिक पैटर्न अपनाएं यानी अपने बिहेवियर को ऐसा रखें, जिससे उसका दूसरों पर इंप्रेशन अच्छा पड़े। जैसे ऑफिस में आपके चलने, उठने-बैठने और बोलने के तरीके पर ध्यान दिया जाता है और यही बिहेवियर आपको इंप्रेसिव बनाता है। अपनी गलती मानना भी इसका एक पार्ट है। इसके साथ ही मीटिंग में आपकी बॉडी लैंग्वेज का भी ख्याल रखें। इसे ही केरिजमैटिक पैटर्न कहते हैं। पूरा वीडियो देखने के लिए ऊपर दी गई फोटो पर क्लिक करें।

प्राइवेट नौकरी:PhysicsWallah में कैटेगरी मार्केटिंग मैनेजर की वैकेंसी, जॉब लोकेशन नोएड, ग्रेजुएट करें अप्लाई

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एडटेक कंपनी, PhysicsWallah ने कैटेगरी मार्केटिंग मैनेजर के पदों पर वैकेंसी निकाली है। यह वैकेंसी PW के मार्केटिंग डिपार्टमेंट में है। इस पोस्ट पर शॉर्टलिस्ट किए गए कैंडिडेट्स को मर्केट रिसर्च करनी होगी। रोल और रिस्पॉन्सिबलिटी : एजुकेशनल क्वालिफिकेशन : एक्सपीरियंस : सैलरी स्ट्रक्चर : जरूरी स्किल्स : जॉब लोकेशन : ऐसे करें अप्लाई : Apply Now कंपनी के बारे में :