Monday, September 16, 2024
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69,000 शिक्षकों की भर्ती मामले में हाईकोर्ट का फैसला:3 महीने में नई मेरिट लिस्ट जारी की जाए, सुप्रीम कोर्ट जा सकती है सरकार

शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 69000 शिक्षकों की भर्ती की मेरिट लिस्ट रद्द कर दी है। बेंच ने सरकार को सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा का रिजल्ट नए सिरे से जारी करने का आदेश भी दिया है। बेसिक शिक्षा विभाग को 3 महीने में नई चयन सूची जारी करनी होगी। कोर्ट में शिक्षकों की भर्ती में 19 हजार सीटों पर आरक्षण घोटाला साबित हो गया। ऐसे में बेंच ने आदेश दिया है कि आरक्षण नियमावली 1981 और आरक्षण नियमावली 1994 का पालन करके नई लिस्ट बनाई जाए। यह फैसला इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ डबल बेंच ने लिया। इससे पहले लखनऊ हाईकोर्ट की सिंगल बेंच भी ये मान चुकी थी कि 69,000 शिक्षकों की भर्ती में 19,000 सीटों पर आरक्षण का घोटाला हुआ था। नौकरी कर रहे लोगों का अब क्या होगा
नई मेरिट लिस्ट बनने से बीते 4 साल से सेवाएं दे रहे हजारों टीचर नौकरी से बाहर हो सकते हैं। लेकिन क्या इनको नौकरी से निकाला जाएगा, यह स्पष्ट नहीं है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि नई मेरिट लिस्ट बनाते समय अगर कार्यरत शिक्षकों का नुकशान होता है तो उन्हें शेसन यानी सत्र लाभ दिया जाए। यानी वे वर्तमान शैक्षिक सत्र तक पद पर कार्य करते रहेंगे। हमारे एक्सपर्ट और सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता ने बताया कि मामले में दोनों पक्षों से जुड़ी 90 विशेष अपीलों पर डिवीजन बेंच ने फैसला दिया है। इसके अनुसार राज्य सरकार को तीन महीने में नई सूची जारी करने की कार्रवाई पूरी करनी है। सिंगल जज ने जनवरी 2022 के फैसले से 6800 अभ्यर्थियों की चयन सूची को खारिज कर दिया था। हालांकि डिवीजन बेंच ने उस फैसले पर कोई हस्तक्षेप नहीं किया है। लेकिन डिवीजन बेंच के फैसले से आरक्षित वर्ग की सीटों पर भारी उलटफेर होगा जिससे कई लोगों की नौकरी खत्म हो सकती है। डिवीजन बेंच के फैसले के खिलाफ पीड़ित अभ्यर्थी और राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट से अगर हाईकोर्ट का फैसला स्टे हो गया तो फिर फाइनल निर्णय आने तक किसी की नौकरी नहीं जायेगी। डिवीजन बेंच का फैसला लागू होने पर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को विशेष लाभ होगा। अब सुप्रीम कोर्ट जा सकती है सरकार
बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी ने बताया- हाईकोर्ट की डबल बेंच के आदेश के खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर सकती है। बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों ने हाईकोर्ट के आदेश का विधिक परीक्षण कराना शुरू कर दिया है। मामले में बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सहमति के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा। क्‍या है UP 69,000 शिक्षक भर्ती का पूरा विवाद –
सुप्रीम कोर्ट ने 1 लाख 37 हजार शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक के रूप में समायोजन रद्द किया
साल 2014 में उत्तर प्रदेश की तत्कालीन अखिलेश सरकार ने 1 लाख 37 हजार शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक के रूप में समायोजित किया था। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा और 25 जुलाई, 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने करीब शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द करने का आदेश दिया था। मतलब अखिलेश सरकार ने जिन शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक बनाया था, वह फिर से शिक्षामित्र बन गए। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 1 लाख 37 हजार पदों पर भर्ती का आदेश राज्य में नई बनी योगी सरकार को दिया। योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि हम एक साथ इतने पद नहीं भर सकते हैं। फिर सुप्रीम कोर्ट ने दो चरण में सभी पदों को भरने का आदेश दिया। इस आदेश के बाद योगी सरकार ने 2018 में पहले 68,500 पदों के लिए वैकेंसी निकाली। फिर, दूसरे चरण में 69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती की गई थी, जिसमें आरक्षण का विवाद चल रहा है। आरक्षण नियमों को लेकर अनदेखी की गई
साल 2018 में उत्तर प्रदेश की तत्कालीन योगी सरकार ने 69 हजार सहायक शिक्षक पदों की भर्ती के लिए नोटिफिकेशन निकाला। इसकी परीक्षा 6 जनवरी, 2019 को हुई। बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा का रिजल्ट 12 मई, 2020 को जारी किया गया। रिजल्ट में जनरल की कट-ऑफ 67.11% और OBC की कट-ऑफ 66.73% थी। इसके तहत तकरीबन 68 हजार लोगों को नौकरी मिली। यहीं से सवाल उठा कि 69 हजार भर्ती में आरक्षण नियमों को लेकर अनदेखी की गई। बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 का पालन सही से नहीं किया गया। इसके बाद राज्य भर में विरोध प्रदर्शन होने लगे। आंदोलनकारियों क कहना था कि नियमावली में साफ है कि कोई OBC का अभ्यर्थी अगर नॉन-रिजर्व्ड कैटेगरी के कटऑफ से ज्यादा नंबर पाता है तो उसे OBC कोटे से नहीं बल्कि नॉन-रिजर्व्ड कैटेगरी में नौकरी मिलेगी। यानी वह आरक्षण के दायरे में नहीं गिना जाएगा। अभ्यर्थियों ने दावा किया कि 69 हजार शिक्षक भर्ती में OBC कैटेगरी को 27% की जगह मात्र 3.86% रिजर्वेशन मिला। OBC कैटेगरी को 18,598 सीट में से मात्र 2,637 सीटें मिलीं। जबकि सरकार का कहना था कि तकरीबन 31,000 OBC कैंडिडेट्स की नियुक्ति की गई है। SC कैटगरी ने भी आरक्षण की प्रक्रिया में गड़बड़ी के आरोप लगाए हैं
OBC की तरह ही SC कैंडिडेट्स ने 69 हजार शिक्षक भर्ती में आरक्षण में गड़बड़ी का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि SC कैटेगरी को भी 21% की जगह मात्र 16.6% रिजर्वेशन मिला है। एस्पिरेंट्स ने दावा किया कि 69 हजार शिक्षकों की भर्ती में करीब 19 हजार सीटों का घोटाला हुआ। इसको लेकर वे हाईकोर्ट भी गए और राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग में भी शिकायत की है। राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग ने भी सरकार के खिलाफ फैसला सुनाया था
राष्ट्रीय ओबीसी आयोग ने भी 2021 में माना था कि 69000 सहायक अध्यापक भर्ती में आरक्षण अधिनियम का पालन नहीं हुआ। लेकिन सरकार ने आयोग के आदेश को नहीं माना था।

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