सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दिए अपने फैसले में UPSC एस्पिरेंट को एक बार फिर रि-मेडिकल टेस्ट करने और अगर वो टेस्ट में फिट आता है तो उसकी सेवाएं बहाल करने का फैसला दिया है। दरअसल ये एक अलग तरह का मामला है। UPSC एस्पिरेंट जिसने 2014 में एग्जाम और इंटरव्यू दोनों ही पास कर लिए थे, लेकिन मेडिकल टेस्ट में क्वालीफाई नहीं हो पाया था, इसके बाद उसे किसी भी पद पर ‘अस्थाई रूप से अयोग्य’ घोषित कर दिया गया था। आर्टिकल 142 के आधार पर दिया आदेश आर्टिकल 142 का उपयोग करते हुए जस्टिस पीएस नरसिंहा और पंकज मिथल की बेंच ने उसके रि-मेडिकल टेस्ट का आदेश दिया है। यदि याचिककर्ता इसको क्वालीफाई कर लेता है तो उसकी सेवाएं अपॉइंटमेंट डेट (2016) से ही मानी जाएंगी। संविधान का आर्टिकल142 सुप्रीम कोर्ट को किसी मामले में पूर्ण न्याय करने के लिए विशेष आदेश देने की शक्ति देता है। आर्टिकल 142 के अनुसार सुप्रीम कोर्ट अपने अधिकार-क्षेत्र का प्रयोग करते हुए ऐसा आदेश पारित कर सकता है, जो उसके सामने लंबित किसी मामले या विषय में पूर्ण न्याय करने के लिए जरूरी हो। 2014 में दिया था UPSC एग्जाम 2014 में याचिकाकर्ता ने UPSC के सभी फेज को क्वालीफाई कर लिया था। उसका बॉडी मास इंडेक्स 30.18 ज्यादा होने से उसे अनफिट माना गया था और किसी भी पद पर ‘अस्थाई रूप से अयोग्य’ घोषित कर दिया गया था। बता दें कि 18 से 27 के बीच अच्छा माना जाता है। इसके बाद फिर से मेडिकल टेस्ट के लिए कैंडिडेट ने अप्लाई किया और 14 जुलाई 2015 को उसका मेडिकल टेस्ट होना था। वहीं UPSC का फाइनल रिजल्ट लिस्ट 4 जुलाई 2015 को आई तो उसको लगा की अब वो क्वालीफाई नहीं है और इस कंफ्यूजन में वो मेडिकल टेस्ट के लिए ही नहीं गया। 126 कैंडिडेट्स की लिस्ट में था 93वे नंबर इसके बाद 19 जनवरी 2016 को 126 कैंडिडेटस के लिए एक रिजर्व लिस्ट जारी की गई। इसमें याचिककर्ता की रैंक 93वे थी। उससे नीचे तक के कैंडिडेटस को जॉइनिंग मिल गई थी इसके बाद उसने पहली याचिका दायर की। पीएस नरसिंहा और पंकज मिथल की बेंच ने अपने फैसले में भी कहा कि कैंडिडेट की मेरिट लिस्ट पब्लिश की गई थी। कैंडिडेट को 2015 में रि-मेडिकल टेस्ट होना था, हालांकि उसको लगा कि वो अनफिट है तो उसका चांस खत्म हो गया है इसलिए वो इस मौके से चूक गया। सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेशन ट्रिब्यूनल पटना में किया चैलेंज उसने सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेशन ट्रिब्यूनल पटना से संपर्क किया, इस याचिका को के. राजशेखर रेड्डी के मामले में अपने खुद के फैसले को ध्यान में रखते हुए उसकी याचिका को खारिज कर दिया, जो खुद भी मेडिकल टेस्ट में पास नहीं हो सके थे। इस फैसले के विरुद्ध याचिकाकर्ता ने रिट याचिका के साथ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। जब यह याचिका पेंडिंग थी। रेड्डी की याचिका को तेलंगाना हाई कोर्ट में थी। रेड्डी के मामले में तेलंगाना उच्च न्यायालय के आदेश के विरुद्ध एक एसएलपी में, सुप्रीम कोर्ट ने रि-मेडिकल टेस्ट का आदेश दिया था। जस्टिस रेड्डी को भी 142 मिली थी ज्वाइनिंग जस्टिस रेड्डी को आर्टिकल 142 के अंतर्गत नियुक्त किया गया था। उन्हें सभी सेवाओं के लिए फिट पाए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्ति के लिए उनके विचार करने के निर्देश देने के लिए अनुच्छेद 142 का प्रयोग किया था।