दुनिया का सबसे महंगा पंख 23.63 लाख रुपए में नीलाम हुआ। अमेरिका के यूटा प्रांत की तस्वीर मिल्की वे फोटोग्राफ ऑफ द ईयर चुनी गई। वहीं, FSSAI ने MDH-एवरेस्ट को क्लीन चिट दी। आइए आज के ऐसे ही प्रमुख करेंट अफेयर्स पर नजर डालते हैं, जो सरकारी नौकरियों की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स के लिए अहम हैं… नेशनल (NATIONAL) 1. RBI केंद्र सरकार को 2.11 लाख करोड़ रुपए सरप्लस देगा: 22 मई को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) बोर्ड ने वित्त वर्ष 2024 के लिए सरकार को रिकॉर्ड 2,10,874 करोड़ रुपए के सरप्लस ट्रांसफर को मंजूरी दी। पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में RBI ने सरकार को 87,416 करोड़ का सरप्लस ट्रांसफर किया था। यानी, ये पिछले साल की तुलना में 1.23 लाख करोड़ रुपए ज्यादा है। इंटरनेशनल (INTERNATIONAL) 2. आयरलैंड, नॉर्वे और स्पेन ने फिलिस्तीन को राष्ट्र मान्यता दी: 22 मई को आयरलैंड के प्रधानमंत्री साइमन हैरिस ने फिलिस्तीन को एक देश के तौर पर मान्यता देने की घोषणा की। नॉर्वे के साथ ही स्पेन और स्पेन ने भी फिलिस्तीन को आधिकारिक तौर पर मान्यता देने का ऐलान किया। 3. दुनिया का सबसे महंगा पंख नीलाम हुआ: 21 मई को न्यूजीलैंड ऑकलैंड शहर में स्थित वेव्स ऑक्शन हाउस में लुप्त हो चुकी हुइया पक्षी का एक दुर्लभ पंख 23.63 लाख रुपए में नीलाम हुआ। नीलामीकर्ताओं ने इस पंख की शुरुआती कीमत 1.66 लाख से 2.50 लाख रुपए आंकी थी। अवॉर्ड (AWARD) 4. अमेरिका के यूटा प्रांत की तस्वीर मिल्की वे फोटोग्राफ ऑफ द ईयर चुनी गई: 20 मई को पौलेंड के लैंडस्केप फोटोग्राफर मार्सिन जाजैक को मिल्की वे फोटोग्राफर ऑफ द ईयर 2024 का खिताब मिला। मार्सिन ने अमेरिका के यूटा प्रांत के वैली स्टेट पार्क और ऊपर आकाशगंगा की छटा वाली फोटो को कैमरे में कैद किया था। बिजनेस (BUSINESS) 5. FSSAI ने MDH-एवरेस्ट को क्लीन चिट दी: 21 मई को फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने भारतीय मसालों में हानिकारक पदार्थों की मिलावट की बात खारिज कर दी है। संस्थान ने व्यापक जांच के बाद इनमें एथिलीन ऑक्साइड (ईटीओ) न मिलने की पुष्टि की है। एथिलीन ऑक्साइड से कैंसर होने का खतरा रहता है। आज का इतिहास (TODAY’S HISTORY) 22 मई का इतिहास: 1906 में आज के दिन ही अमेरिका के ऑरविल राइट और विलबर राइटने अपनी फ्लाइंग मशीन का पेटेंट हासिल किया था। राइट बंधुओं के बनाए हवाई जहाज ने 17 दिसंबर 1903 को पहली सफल उड़ान भरी थी। हालांकि, अमेरिकी मिलिट्री के चलते 1903 में पेटेंट के दावे को खारिज कर दिया था।