Saturday, July 27, 2024
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करेंट अफेयर्स 25 मई:शील नागू मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस बने, कांस फिल्म फेस्टिवल में अनासुया सेनगुप्ता ने बेस्ट एक्ट्रेस अवॉर्ड जीता

आर्चरी वर्ल्ड कप में भारतीय महिला कंपाउंड तीरंदाजी टीम ने गोल्ड जीता। अडाणी पोर्ट्स BSE इंडेक्स में शामिल होने वाली ग्रुप की पहली कंपनी बनी। वहीं, 80 साल बाद अमेरिकी पनडुब्बी का मलबा मिला। आइए आज के ऐसे ही प्रमुख करेंट अफेयर्स पर नजर डालते हैं, जो सरकारी नौकरियों की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स के लिए अहम हैं… नियुक्ति (APPOINTMENT) 1. शील नागू मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के कार्यकारी चीफ जस्टिस बने: 25 मई को जस्टिस शील नागू ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में एक्टिंग चीफ जस्टिस के रूप में कार्यभार संभाल लिया। उन्होंने चीफ जस्टिस रवि विजयकुमार मलिमठ की जगह ली, जो 24 मई को रिटायर्ड हुए। अवॉर्ड (AWARD) 2. अनासुया सेनगुप्ता ने कांस में इतिहास रचा: 25 मई को 77वें कांस फिल्म फेस्टिव में कोलकाता की रहने वाली एक्ट्रेस अनासुया सेनगुप्ता ने बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड अपने नाम किया। वो कांस के इतिहास की पहली भारतीय एक्ट्रेस हैं, जिन्हें इस अवॉर्ड से नवाजा गया है। स्पोर्ट्स (SPORTS) 3. भारतीय महिला कंपाउंड तीरंदाजी टीम ने गोल्ड जीता: 25 मई को साउथ कोरिया के येचिओन में चल रहे वर्ल्ड कप स्टेज-2 आर्चरी के कंपाउंड में भारतीय महिला टीम ने गोल्ड जीता है। वहीं मिक्स्ड टीम में भारत को सिल्वर मेडल मिला है। बिजनेस (BUSINESS) 4. अडाणी पोर्ट्स BSE इंडेक्स में शामिल होने वाली ग्रुप की पहली कंपनी बनी: 24 मई को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) ने अडाणी ग्रुप की पोर्ट कंपनी ‘अडाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन’ को बेंचमार्क इंडेक्स BSE सेंसेक्स में शामिल करने की घोषणा की। यह बदलाव अगले महीने जून की 24 तारीख से प्रभावी होगा। इंटरनेशनल (INTERNATIONAL) 5. 80 साल बाद अमेरिकी पनडुब्बी का मलबा मिला: 23 मई को अमेरिका की नेवी हिस्ट्री एंड हेरिटेज कमांड (NHCC) के मुताबिक अमेरिका की सबसे मशहूर पनडुब्बियों में से एक USS हार्डर का मलबा 80 सालों बाद मिला। यह मलबा साउथ चाइना सी में खोजा गया है। आज का इतिहास (TODAY’S HISTORY) 25 मई का इतिहास: 1915 में आज के दिन ही महात्मा गांधी ने सत्याग्रह आश्रम की स्थापना की थी। 1915 में वह दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे थे। उनकी इच्छा अपने परिवार के साथ रहने की थी। इसके लिए उन्होंने अहमदाबाद के कोचराब में अपने एक मित्री के बंगले को आश्रम का रूप दे दिया। 2 साल बाद 1917 में इस आश्रम को साबरमती नदी के किनारे बसाया गया, जिसकी वजह से इसे ‘साबरमती आश्रम’ नाम दिया गया।

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