मेरा नाम अंशुमन राज है, मैं बिहार के बक्सर से हूं। मैंने पढ़ाई नवोदय विद्यालय से की है। फिर कॉलेज के लिए कोलकाता गया, जहां से मैंने मरीन इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया। चार-साढ़े चार साल हॉन्गकॉन्ग मे जॉब की। अच्छी जॉब थी, सैलरी भी अच्छी थी तो फैमिली को सपोर्ट भी कर पा रहा था, लेकिन सुकून नहीं था। जो चीजें अच्छी लगती थीं, लोगों से जुड़कर कुछ काम करने की इच्छा, वो नहीं कर पा रहा था। तब फिर सिविल सर्विसेज की तैयारी करने के बारे में सोचा। मध्य प्रदेश के नरसिंहगढ़ में पोस्टेड हैं अंशुमन
IAS से पहले साल 2018 में IRS में मेरा सिलेक्शन हुआ था। वहां कस्टम्स एंड इनडायरेक्ट टैक्सेस में था। इसके बाद 2019 में फिर से एग्जाम क्लियर किया। उसके बाद 2020 के बैच से निकला, IAS ऑफिसर बना। अब मैं मध्य प्रदेश के नरसिंहगढ़ में पोस्टेड हूंं। पूरे सिलेबस की तैयारी बेहद जरूरी
सिलेबस में बहुत ही बारीकी से बताया गया है कि स्टूडेंट्स को क्या-क्या पढ़ना है। प्रीलिम्स में एक ये बेनिफिट रहता है कि आंसर आपके सामने ही होता है। चार ऑप्शन्स हैं, उन्हीं में से कोई एक चुनना है, लेकिन उसके लिए आपके कॉन्सेप्ट क्लियर होने चाहिए, क्योंकि कई बार बहुत कंफ्यूजिंग ऑप्शन्स आते हैं। कोई टेम्प्लेट बनाकर तैयारी न करें
बहुत हद तक इंटीग्रेटेड अप्रोच काम आती है, क्योंकि हम जो प्री में पढ़ते हैं ज्यादातर चीजें मेन्स में काम आती हैं, लेकिन हमारा अप्रोच सब्जेक्ट वाइज होना चाहिए। पिछले सालों के क्वेश्चन पेपर देखें, उनकी आंसर शीट्स देख सकते हैं, लेकिन उन्हें टेम्प्लेट समझकर उन्हीं के अनुसार तैयारी करना ठीक नहीं। UPSC हर बार क्या पूछने वाला है, वो किसी को नहीं पता। हमें तैयारी क्लीन स्लेट होकर करनी चाहिए। फंडामेंटल्स पर डिपेंड करेगी करेंट अफेयर्स की समझ
करेंट अफेयर्स डिपेंड करता है कि हमारा स्टैटिक या बेसिक्स कितना स्ट्रॉन्ग है। मैं The Hindu या कोई और न्यूजपेपर पढ़ रहा हूं और उसमें इकोनॉमिक्स या ऐसा कोई बढ़िया आर्टिकल लिखा हुआ है। अगर मेरे फंडामेंटल्स क्लियर नहीं है, तो मैं उस एडिटोरियल को अच्छे से समझ नहीं पाऊंगा, इसलिए बैलेंस होना जरूरी है। मेरे हिसाब से स्टूडेंट्स को 65% टाइम स्टैटिक को और करेंट अफेयर्स को 35% टाइम देना चाहिए। कई बार ऐसा होता है कि करेंट अफेयर नहीं भी पढ़ा है, लेकिन उस टॉपिक का स्टैटिक क्लियर है तो भी आप उसका सही जवाब दे सकते हैं। जैसे- 2020 के प्रीलिम में ड्रोन्स के बारे में कई सवाल पूछे गए थे। अगर AI और ड्रोन्स को लेकर मुझे कॉन्सेप्चुअल क्लैरिटी है तो इससे रिलेटेड सवालों का मैं आसानी से जवाब दे सकता हूं। कोर सोर्सेज को न भूलें
कोर सोर्सेज के लिए आप कोई भी एक न्यूजपेपर जैसे The Hindu या इंडियन एक्सप्रेस, मेजर मैगजीन्स जैसे योजना या कुरुक्षेत्र, एनवायर्नमेंट के लिए डाउन टू अर्थ पढ़ सकते हैं, साइंस के लिए साइंस रिपोर्टर्स। मंथली मैगजीन्स के बजाय इन पर फोकस करना चाहिए। मंथली मैगजीन्स ज्यादातर एस्पिरैंट्स ही बनाते हैं, जो या तो ब्रेक ले रहे हैं या जिनका सिलेक्शन नहीं हो पाया है। कई बार सिर्फ कुछ नया दिखाने के लिए कुछ ऐसे करेंट अफेयर्स बना देते हैं, जो देखने में तो अच्छे लगते हैं, लेकिन एग्जाम के लिए हायली इररेलेवेंट होते हैं। इसलिए मैं यही कहूंगा कि प्राइमरी सोर्स पर जाएं, अपने नोट्स वहीं से बनाएं। सेकेंडरी सोर्स पर ज्यादा भरोसा करने की जरूरत नहीं है। आपको दूसरों से अलग दिखना होगा
मेन्स एग्जाम में लिखते हुए आप दूसरों से अलग क्या सोच सकते हैं, वो दिखाना होगा। इसके अलावा एग्जामिनर के माइंड सेट को भी समझना होगा। एस्पिरेंट सोचते हैं कि बहुत सारे डायग्राम्स, बबल डायग्राम्स, सिंबल वगैरह बना देते हैं। इससे कुछ नहीं होता। अल्टीमेटली ये सब टूल्स होते हैं आपके आंसर को बेहतर रीप्रेजेंट करने के लिए। अगर ये टूल्स हेल्प करते हैं तो ठीक है, वर्ना बिना मतलब के इनका इस्तेमाल एग्जामिनर को आपके आंसर से डिस्ट्रैक्ट कर सकता है। अगर आपको लगता है कि पैराग्राफ वाइज या पॉइंट वाइज लिखकर आप आंसर को बेहतर रिप्रेजेंट कर सकते हैं तो आप वैसे ही लिखें। जबर्दस्ती टेम्प्लेट को फॉलो न करें कि किसी टॉपर ने ऐसे लिखा तो मैं भी वैसे ही लिखूं। अल्टीमेटली कंटेंट और प्रेजेंटेशन ही काम आता है। इसके अलावा जो जनरल सवाल पूछे जाते हैं उसमें वैल्यू एडिशन करें, इससे बेहतर मार्क्स मिलते हैं। सिंपल लैंग्वेज में एस्से लिखें
UPSC कहता है कि एस्से के लिए सिंपल एंड ल्यूसिड लैंग्वेज यूज करें। टेम्प्लेट फॉलो न करें कि एक कोट या कविता ही लिखेंगे। बेहतर होगा कि एस्से की जरूरत को समझें। ऐसा लग रहा है कि कहानी या कविता लिखनी चाहिए तो लिखें, वर्ना जरूरत नहीं है। बहुत ही सिंपल एस्से आए तो आप इतने डायमेंशन्स खोल दो जिससे आपकी नॉलेज पता चले। बहुत कॉम्प्लिकेटेड एस्से आए तो उसे इतनी सिंपल लैंग्वेज में समझाएं कि पता चले कि आपको टॉपिक क्लियर है। ऑप्शनल के सभी सब्जेक्ट्स ट्राय करें, फिर चुनें
मेरे हिसाब से ऑप्शनल चुनने के लिए आपको सभी सब्जेक्ट्स ट्राय करके देखना चाहिए। सबका सिलेबस देखें, सबके कुछ क्वेश्चन्स और बुक्स पढ़कर देखें। ये न सोचें कि पहले ही दिन ऑप्शनल चुन लेना हैं। आप सबकी एक-आध बुक्स के 10 पेज पढ़कर देख लो। बाकी हां कुछ सब्जेक्ट्स जैसे हिस्ट्री, उनका सिलेबस बहुत वास्ट होता है। मेरे पास हिस्ट्री ही था। मुझे लगा कि इतना टाइम उसके सिलेबस को पूरा करने में लगाया, कोई और सब्जेक्ट चुनता तो शायद बाकी सब्जेक्ट्स पर फोकस करने के लिए ज्यादा टाइम मिल जाता और उनमें और अच्छे मार्क्स ला पाता। आप ऑप्शनल चुनने के लिए आराम से एक-डेढ महीना समय दे सकते हैं। 10-15 अलग-अलग सब्जेक्ट्स के एस्पिरेंट्स से बात करें। किसी एक पर्टिकुलर ईयर के टॉपर को देखकर सब्जेक्ट न चुनें। आपके लुक से सीरियसनेस पता चलती है
इंटरव्यू पर्सनैलिटी टेस्ट होता है। सबसे पहला इंप्रेशन एटीकेट्स से पड़ता है। आप सीनियर्स के सामने खुद को कैसे प्रेजेंट कर रहे हैं। वेल ड्रेस्ड होना जरूरी है। कपड़े साफ सुथरे और लुक क्लीन होना चाहिए। इससे ये पता चलता है कि आप अपनी जॉब के प्रति कितना सीरियस हो। ऐसा हो सकता है कि आपके कपड़े पुराने हो, पर वो नीट और क्लीन होने चाहिए। इसके अलावा इंटरव्यू के दौरान आपको सच बोलना है, क्योंकि पैनल इतना एक्सपीरियंस्ड होता है कि वो आसानी से पहचान लेगा कि आप सच बोल रहे हैं कि झूठ। अगर नहीं आता है तो सच बता दो कि नहीं आता है। दूसरा सवाल गड़बड़ हो जाने पर घबराएं ना। गलती हो जाए तो आगे बढ़ें और आगे के सवालों पर ध्यान दें। ये चीज आप मॉक देने से सीख पाएंगे। कॉन्फिडेंट रहें, फंबल न करें। पैनल देखना चाहता है कि आप अंडर स्ट्रेस कैसे रहते हैं। छठी क्लास के बच्चे को कैसे समझाएंगे आइंस्टीन की रिलेटिविटी थ्योरी
सेकेंड इंटरव्यू में पैनल से मुझसे हिंदी में सवाल किया गया- एक मुहावरा है ‘न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी’, इसको एडमिनिस्ट्रेटर के तौर पर आप कहां यूज कर सकते हैं। इसके अलावा एक दूसरा सवाल था कि आइंस्टीन की स्पेशल थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी छठी के बच्चे को कैसे समझाएंगे। ऐसे सवालों के जवाब ही आपको औरों से अलग बनाते हैं।