मद्रास हाई कोर्ट ने हाल ही में एक फीमेल कैंडिडेट को NEET-UG 2024 एग्जाम में एडल्ट डायपर पहनने की परमिशन दी। 12वीं के बाद MBBS कोर्स के लिए मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए ये एग्जाम क्वालिफाई करना जरूरी है। न्यूरोजेनिक ब्लैडर से जूझ रही है NEET एस्पिरेंट
दरअसल, कैंडिडेट का न्यूरोजेनिक ब्लैडर का इलाज चल रहा है। इस बीमारी में इंसान का दिमाग शरीर को यूरिन पास करने का सिग्नल नहीं दे पाता। हादसे में जलने के बाद से ये कैंडिडेट इस बीमारी से जूझ रही है। कोर्ट ने कहा है कि संविधान के आर्टिकल 15 (3) राज्य को महिलाओं और बच्चों के लिए जरूरत पड़ने पर खास सुविधाएं देने का अधिकार प्रदान करता है। ऐसे में इस कैंडिडेट को डायपर के साथ एग्जाम देने की परमिशन दी जा सकती है। केस की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि फीमेल कैंडिडेट्स के लिए NTA को ड्रेस कोड में सैनेटरी नैपकिन भी शामिल करना चाहिए ताकि उन्हें चेकिंग के दौरान बेवजह परेशानी न हो। कोर्ट ने कहा- कैंडिडेट को डायपर पहनने की परमिशन न देना आर्टिकल 14 का उल्लंघन
न्यूरोजेनिक ब्लैडर की समस्या से जूझ रही कैंडिडेट का कहना है कि उसने एग्जाम कंडक्टिंग बॉडी से एग्जाम के दौरान डायपर पहनने और उसे बीच-बीच में बदलते रहने की परमिशन देने की मांग की थी। अथॉरिटी की तरफ से कोई जवाब नहीं आने की वजह से उसने कोर्ट से मदद मांगी। कोर्ट ने कहा कि इस केस में अगर कैंडिडेट को डायपर पहनकर एग्जाम देने की परमिशन नहीं दी गई तो ये आर्टिकल 14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन होगा। अगर ये स्पष्ट है कि कोई कैंडिडेट एग्जाम देने के लिए फिट है, तो किसी भी केस में उसका हक नहीं छीना जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा- स्पेशल नीड वाले लोगों के लिए राज्य करें रीजनेबल एकोमोडेशन
कोर्ट ने कहा कि राइट्स ऑफ पर्सन विद डिसेबिलिटी एक्ट 2016 (RPwD, 2016) सिर्फ ऐसे लोगों तक सीमित नहीं है जो किसी डिसेबिलिटी से जूझ रहे हैं बल्कि इसका दायरा हर उस व्यक्ति तक है जिसकी कोई खास जरूरत यानी स्पेशल नीड हो। इस एक्ट में स्पेशल नीड वाले लोगों के लिए रीजनेबल एकोमोडेशन की का प्रावधान है। इसका मतलब है कि राज्य को स्पेशल नीड वाले लोगों के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर या सुविधाओं के स्तर पर जरूरी बदलाव या एडजस्टमेंट करने चाहिए। स्पेशल नीड वाला हर व्यक्ति रीजनेबल एकोमोडेशन के दायरे में : जस्टिस जी आर स्वामीनाथन
केस की सुनवाई कर रहे जस्टिस जी आर स्वामीनाथन ने कहा कि ऐसा कोई भी व्यक्ति जो RPwD, 2016 एक्ट में डिसेबिलिटी के दायरे से बाहर है लेकिन किसी बायोलॉजिकल कंडीशन की वजह से उसकी कुछ खास जरूरतें हों वो RPwD, 2016 एक्ट के रीजनेबल एकोमोडेशन में आता है। इसका मतलब है कि राज्य को ऐसे लोगों के लिए खासतौर पर प्रावधान करने चाहिए। कोर्ट ने कहा- NTA को NEET के ड्रेस कोड में शामिल करना चाहिए सैनेटरी नैपकिन
कोर्ट ने एग्जाम कंडक्टिंग बॉडी को लड़कियों के लिए एग्जाम सेंटर्स पर टॉयलेट, पानी की व्यवस्था और सैनेटरी पैड्स रखने का भी आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि रेस्टरूम और एग्जाम हॉल की ठीक तरह से चेकिंग पूरी कर ली जानी चाहिए ताकि लास्ट मिनट में किसी कैंडिडेट या स्टाफ को कोई परेशानी न हो। कोर्ट ने ये भी कहा कि NTA को एग्जाम सेंटर के ड्रेस कोड में सैनेटरी नैपकिन भी शामिल करना चाहिए ताकि किसी भी फीमेल कैंडिडेट को नैपकिन का इस्तेमाल करने को लेकर परेशानी का सामना न करना पड़े। टॉयलेट से लौटने के बाद दोबारा होगी चेकिंग, बायोमेट्रिक अटेंडेंस भी लिया जाएगा
NTA (नेशनल टेस्टिंग अथॉरिटी) ने हाल ही में NEET-UG एग्जाम की गाइडलाइन जारी की। गाइडलाइन के मुताबिक एग्जाम के पहले एक घंटे में कोई भी कैंडिडेट टॉयलेट ब्रेक नहीं ले सकेगा। कोर्ट ने कहा कि इस कैंडिडेट के लिए जरूरी गाइडलाइन NTA की NEET इंफॉर्मेशन बुलेटिन में नहीं थी। हालांकि, NTA ने नोटिफिकेशन जारी करते हुए ये स्पष्ट किया है कि टॉयलेट ब्रेक से आने के बाद सभी कैंडिडेट्स की दोबारा चेकिंग की जाएगी और बायोमेट्रिक अटेंडेंस भी लिया जाएगा।