Saturday, July 27, 2024
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NEET UG एडमिशन 2024:660 के स्‍कोर पर मिल सकता है सरकारी कॉलेज; रूस-जॉर्जिया से कम फीस में हो सकता है कोर्स

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने NEET अंडरग्रेजुएट एग्जाम का रिजल्ट और फाइनल आंसर की रिलीज कर दिए हैं। 13.16 लाख बच्चों ने NEET एग्जाम क्लियर किया है। NEET UG में कुल 67 छात्रों ने AIR 1 हासिल किया। इस साल क्वालिफाइंग कटऑफ मार्क्स जनरल कैटेगरी के लिए 164 और सभी रिजर्व कैटेगरी के लिए 129 है। अब सभी एस्पिरेंट काउंसलिंग राउंड का इंतजार कर रहे हैं। काउंसलिंग राउंड शुरू होने से पहले, कैंडिडेट्स अपने स्कोर को लेकर संशय होता हैं कि मनपसंद कॉलेज मिल पाएगा या नहीं। इस स्टोरी में हमारे एक्सपर्ट बता रहे हैं कितने स्‍कोर पर सरकारी कॉलेज में दाखिला मिल सकता है और कम स्‍कोर वाले कैंडिडेट्स किन देशों से MBBS की पढ़ाई कर सकते हैं। 660 तक हो सकता है सरकारी कॉलेज के लिए कटऑफ
मेडिकल एडमिशन एग्जिक्‍यूटिव रिया शर्मा ने बताया कि इस साल सरकारी कॉलेज में MBBS में एडमिशन के लिए जनरल की कटऑफ 660 से 670 और दूसरे रिजर्व कैटेगरी के लिए 590 से 600 तक रहने का अनुमान है। वहीं, BDS के लिए जनरल की कटऑफ 500+ और दूसरे रिजर्व कैटेगरी के लिए 450+ रहने की उम्मीद है।
बहुत सारे कैंडिडेट्स को अच्छे और कम फीस वाले सरकारी कॉलेज में एडमिशन नहीं मिलते हैं। ऐसे में कैंडिडेट्स दूसरे देशों में MBBS करने का ऑप्शन चुनते हैं। ऐसे कई देश हैं जहां की मेडिकल पढ़ाई और हॉस्टल का खर्च किसी प्राइवेट भारतीय कॉलेज से कम है। रूस-जॉर्जिया में भारत से सस्ती है मेडिकल की पढ़ाई
मेडिकल एडमिशन काउंसलर रिया शर्मा ने बताया कि स्टूडेंट रूस और जॉर्जिया में एडमिशन ले सकते हैं। रूस की सरकारी यूनिवर्सिटीज में स्टूडेंट्स को NRI कोटे पर भी एडमिशन मिलता है, जिसकी फीस बेहद कम होती है। रूस में स्टूडेंट 15 लाख से 30 लाख और जॉर्जिया में 30 लाख से अधिक का कैपिटल खर्च करके अपनी पढ़ाई और हॉस्‍टल की फीस पूरी कर सकते हैं। विदेश में एडमिशन के लिए NEET क्वालिफाइड होना जरूरी
कैंडिडेट को NEET क्वालिफाइड होना जरूरी होता है। इस वर्ष के NEET रिजल्ट के आधार पर जनरल कैटेगरी कैंडिडेट्स का स्कोर कम से कम 164 और अन्य दूसरे कैटेगरी के कैंडिडेट्स का स्कोर कम से कम 129 होना चाहिए। इसके अलावा, उम्मीदवार के पास अपने 10वीं, 12वीं की मार्कशीट- सर्टिफिकेट, मोबाइल नंबर से वैरिफाइड आधार कार्ड और पासपोर्ट होना भी जरूरी है। यूनिवर्सिटी वेबसाइट से करें अप्लाई
विदेशी यूनिवर्सिटी में एडमिशन पाने के लिए कैंडिडेट को सही यूनिवर्सिटी में किसी वैलिड चैनल से अप्लाई करना होता है। कुछ यूनिवर्सिटीज के वेबसाइट पर उनके एप्लिकेशन का लिंक मौजूद होता है, जबकि कई यूनिवर्सिटी ई-मेल के जरिए भी एप्लिकेशन एक्सेप्ट करती हैं। इसके लिए कैंडिडेट्स एडमिशन काउंसलर्स की मदद भी ले सकते हैं। ये कैंडिडेट्स को हॉस्टल और स्टडी वीजा जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध कराते हैं। ऐसे भरें काउंसलिंग फॉर्म
काउंसलिंग फॉर्म भरते वक्त आपको MBBS और BDS दोनों के लिए समान रूप से हिट करना होगा। ऐसे में चॉइस फिल करते समय प्रायॉरिटी फिक्स करनी होगी।
पहले ऑल इंडिया कोटा (AIQ) राउंड 1 के बाद ही स्टेट काउंट राउंड 1 शुरू होगा। ऐसे में अगर आपका पहले AIQ में नहीं होता है तो स्टेट काउंसलिंग में हो सकता है। ठीक इसी प्रकार दूसरे, तीसरे और चौथे राउंड के लिए होगा। इसकी डेट वगैरह की जानकारी NMC और स्टेट गवर्नमेंट की काउंसलिंग बॉडी के नोटिफिकेशन में मिल जाएगी। काउंसलिंग जुलाई के पहले सप्ताह में शुरू होने का अनुमान
NMC जल्द ही अपनी ऑफिशियल वेबसाइट पर नोटिफिकेशन जारी करेगा। AIQ कोटा काउंसलिंग का प्रॉसेस जुलाई के पहले सप्ताह में शुरू होने का अनुमान है। कैंडिडेट्स अपने NEET स्कोरकार्ड के आधार पर काउंसलिंग में शामिल होंगे और मेडिकल कोर्सेज में दाखिला ले सकेंगे। दो तरीके से होती है मेडिकल काउंसलिंग
देश भर में MBBS और BDS की तकरीबन 1 लाख 15 हजार सीटें हैं। इन सीटों में एडमिशन दो तरह की काउंसलिंग के जरिए होता है। पहला MCC (मेडिकल काउंसलिंग कमिटी ) काउंसलिंग और दूसरा स्टेट काउंसलिंग। MCC काउंसलिंग में 15% स्टेट की सीटें शामिल
MCC ऑल इंडिया काउंसलिंग कोटे के तहत डीम्ड और सेंट्रल (AIIMS, AFMC, JIPMER और ESIC) इंस्टीट्यूट्स की 100% सीटों की काउंसलिंग और सभी स्टेट के गवर्नमेंट कॉलेजेज की 15% सीटों की काउंसलिंग MCC के जरिए की जाती है।
वहीं, स्टेट काउंसलिंग में भी MCC काउंसलिंग के समान ही होती है। इसमें हर एक स्टेट के गवर्नमेंट कॉलेजेज की 85% सीट्स और प्राइवेट कॉलेजेज की 100% सीट्स की काउंसलिंग होती है।
कुछ राज्यों के प्राइवेट कॉलेज शुरुआती एक-दो राउंड के लिए बाकी दूसरे स्टेट्स के कैंडिडेट्स को अपीयर होने नहीं देते हैं। वे अपने स्टेट के कैंडिडेट्स के लिए क्लोज्ड काउंसलिंग करते हैं। एक-दो राउंड के बाद अगर इनकी सीटें नहीं फुल होती हैं तो ये दूसरे स्टेट्स के बच्चों के लिए ओपन कर देते हैं। ऐसे स्टेट के क्लोज्ड स्टेट बोलते हैं, जैसे मध्यप्रदेश। बाकी के स्टेट्स को ओपन स्टेट्स कहते हैं।

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